ध्यान केंद्रित कैसे करें ? | ध्यान की गहराई में कैसे जाएं – मन को एकाग्र कैसे करें ?

श्रीमद् भगवत गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को मन शांत करने के दो उपाय बताते है – हे अर्जुन अपने मन को शांत करने के लिए तुम्हे उस पर दो धारी तलवार से प्रहार करना होगा। पहला तलवार प्रयासों के माध्यम से और दूसरा वैराग्य से तभी तुम मन को नियंत्रित कर पाओगे।
ध्यान (मेडिटेशन) करना सभी चाहते हैं लेकिन ध्यान केंद्रित करना, ध्यान की गहराई में जाना या मन को एकाग्र रखना बहुत कम लोग ही ऐसा कर पाने में सक्षम हैं। ध्यान केंद्रित करने में सबसे बड़ी कठिनाइ है “मन” अर्थात् हमारी तार्किक बुद्धि
मन शांत किए बिना ध्यान की गहराई में पहुंचना असंभव है। अधिकतर जो लोग मेडिटेशन करने के लिए आकर्षित है उन्हें या विचार परेशान कर रहे होते हैं अथवा उनका मन भटकने लगता हैं
मन को एकाग्र रखना कठीन नहीं हैं बल्कि आपका मन खुद को स्थिर बनाएं रखने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। मन को एकाग्र कैसे करें ?

ध्यान में मन का भटकना कैसे शांत करें ? | मन को एकाग्र कैसे करें | ध्यान की गहराई में कैसे जाएं | Dhyan kendrit kaise kare

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कुछ लोगो को शिकायत है ध्यान में बैठने पर उनका मन इधर उधर की बाते सोचने लगता है – आज उसने ये किया, आज मैं ये खाऊंगा। आप इसे मन भटकना भी कह सकते है।
मन क्यों भटकता है इसके पीछे बहुत बड़ा एवोल्यूशन साइंस छिपा हुआ है। एक नया व्यक्ति जो ध्यान करना सीख रहा है उसे मन को नियंत्रित करने में अनेक समस्याएं आती है जिस वजह से ध्यान (मेडिटेशन) उसे कठिन लगने लगता है।
कुछ लोगों के लिए यह बेहद कठिन है तो कुछ इसे आसानी से कर लेते हैं। सवाल आता है कैसे मन को एकाग्र (शांत) करें? ध्यान केंद्रित कैसे करें ?

क्या ध्यान करना कठीन है | ध्यान की गहराई में कैसे जाएं ?

ध्यान में मन भटकने लगना या बार बार विचारो में मन का उलझ जाना सामान्य है। यानी ध्यान में मन सभी का भटकता है चाहे अभी आप शुरुआत कर रहे थे अथवा सालों से ध्यान लगाते आ रहे हैं।
यद्यपि सच यही है आपको कभी अपने मन या उसमें आने वाले विचारों को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। विचार अच्छे हो, बुरे हो, याद रखें वे केवल विचार हैं
मन का कार्य विचार करना हैं हजारों लाखों सालों के विकास प्रक्रिया के बाद हम सभी को यह प्रतिभा मिली हैं हम स्वतंत्र रूप से सोच सकते है पूर्ण सजगता से अपने अस्तित्व का भान ले सकते हैं। अतः ये विचारधारा तुरंत त्याग दे आपको मन नियंत्रण में रखना है। अपितु उसे सही दिशा दिखाना है

अब सवाल आता, कैसे मन का सही मारगदर्शन करें? मन शांत कैसे करते है?
शारीरिक बीमारियों का तो दवाईयो से ईलाज किया जा सकता है मगर बिमारी आंतरिक हो तो, अर्थात…
ध्यान सही से करने तथा ध्यान में मन को वश करने के लिए श्रीमद् भगवत गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को अत्यन्त सरल मार्ग दिखते है
पहला रास्ता प्रयास और दूसरा वैराग्य !
यदि आपको भी मन को सही दिशा निर्देश देना है उसके बाहरी संवेदनाओं के आकर्षण को नियंत्रित करना है तो आपको उस पर दो धारी तलवार से प्रहार करना होगा।

हमेशा मन को सही दिशा निर्देश (मार्गदर्शन) देते रहें

मन को चंचल कहा गया है अर्थात हमारा मन उस बछड़े के समान है जो कभी एक जगह स्थिर रहना नहीं जानता, हमेशा इधर तो कभी उधर भटकता रहता है।
मन को सही दिशा निर्देश देने नियंत्रित करने के लिए हमें उस घुड़सवार की तरह बनना होगा जो अपने अथक प्रयासों से बार-बार गिर कर अंततः बेलगाम घोड़े को भी अपने वश में कर लेता है
और जहां चाहे वहां ले जा पाता है!
प्रत्यक्ष रूप में आपको भी घुड़सवार के समान अपने भटकते मन को उसके मूलतः लक्ष्य पर स्थापित करना होगा। अर्थात जितनी बार भी मन भटके उसे स्वांस पर वापस केंद्रित करना होगा
शुरुआत में हो सकता है आप असफल रहे, किन्तु उस घुड़सवार को याद करे, कैसे वह अपने अथक प्रयासों के माध्यम से घोड़े पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है।
यद्यपि प्रयासों के तलवार चलाकर आप मन पर नियंत्रण तो पा लेंगे, मगर मन पुनः आपकी चुंगल से ना भाग सकें अर्थात बाह्य इन्द्रियों का आकर्षण उसे भटका ना दे इसके लिए आपको वैराग्य की तलवार से प्रहार करना होगा।

वैराग्य से मन नियंत्रित करना

मन पर काबू पा लेने के बाद भी यह स्वयं को मुक्त कराने का भरपूर प्रयास करेगा। बार बार इन्द्रियों की लालसा इसे अपनी ओर खींचने का प्रयास करेगी।
अतः यह नियंत्रण से ना छूट पाए इसके लिए आपको वैराग्य की तलवार का सहारा लेना होगा। चिंता न करें आपको वैरागी नहीं बनना है!
परन्तु उनके गुणों को अपनाना होगा!
हमेशा सत्य बोलना, शाकाहार, दूसरो की अच्छाई करना, संसारिक जीवों के प्रति प्रेम भाव रखना, इस तरह यम, नियम और प्रत्याहार के गुणों को अपनाना होगा। यही आपको वैराग्य की तलवार चलाने में सहायता करेगी।
अर्थात आपकी सभी इन्द्रियों को वश में रखेगी। ध्यान में मन केन्द्रित रहेगा। आप ध्यान की गहराई में जा सकेगें। मन एकाग्र रख सकेंगे। अर्थात मन नियंत्रण में रहेगा।
Dhyanlok के कुछ शब्द
ध्यान केन्द्रित कैसे करें, मन को केन्द्रित कैसे करें ? इसके लिए आपको मन को सही दिशा निर्देश अर्थात मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है सही प्रयासों की जरूरत है। तभी आप ध्यान में मन को केन्द्रित कर सकेंगे।
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