प्राणायाम करने मात्र से शरीर के 80% विषैले तत्व बाहर जाती सांसों के साथ निकल जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम शरीर के प्रत्येक अंग, नसो और नाड़ियों को शुद्ध बनाता हैं। इसलिए आज इसे ना केवल पूरे भारतवर्ष बल्कि विश्वभर से लोग कपालभाति का अभ्यास कर रहे हैं।
कपालभाति का अर्थ होता हैं कपाल अर्थात् “मस्तक या माथा” और भाति का मतलब “प्रकाश अथवा चमकने वाला”
इसलिए कपालभाति प्राणायाम की उचित व्याख्या होगी- चमकने वाला माथा, तेजस्वी मस्तक तथा इस तेजस्वी प्रकाश को प्राप्त करने का एक ही मार्ग है प्रतिदिन कपालभाति का अभ्यास करना
कपालभाति प्राणायाम को यद्यपि हम महर्षि पतंजलि के योग सूत्र द्वारा जानते हैं। किंतु स्वामी रामदेव के अभूतपूर्व प्रयासों ने इसे विश्व भर में व्याप्त बना दिया है। कपालभाति प्राणायाम स्वामी रामदेव के 6 प्राणायामों सेटो का एक हिस्सा है।
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कपालभाति प्राणायाम क्या है ? कपालभाति के फायदे, नुकसान, सीमाएं और सही विधि | Kapalbhati kaise kare | Benifits of Kapalbhati in hindi
कपालभाती प्राणायाम स्वास – प्रवास की एक योगिक क्रिया हैं। इसमें दोनों नथुनों से सांसो को तृष्ण गति से बाहर निष्कासित कर पेट में संकुचन (कसाव) लाया जाता है।
कपालभाति प्राचीन योग ग्रंथ घेरेंडा संहिता में उल्लेखित योग क्रियाओं का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसमें विभिन्न शारीरिक अंगो की शुद्धि के लिए प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है जैसे –
धौती (dhauti) – भोजनली शुद्धि हेतु
नेती (neti) – नाक गुहाओं की शुद्धि हेतु
नौली (nauli) – पाचन अंगों की शुद्धि हेतु
त्राटक (tratak) – आंखों को मजबूत करने
बस्ती (basti) – बड़ी आंतों की सफाई हेतु
कपालभाती (kapalbhati) – सिर क्षेत्र की शुद्धि हेतु
कपालभाति प्राणायाम के प्रकार – Types of Kapalbhati Pranayama | Kapalbhati kaise kare
वातक्रम कपालभाति (vatakarma kapalbhati)
इसका कपालभाति में स्वास छोड़ना सक्रिय तथा स्वास लेना निष्क्रिय रहता है।
व्युत्क्रम कपालभाति (vyutkrama kapalbhati)
इस कपालभाति क्रिया में नथुने में पानी डालकर मुंह तक बहने दिया जाता है और अंततः होठों से बाहर निकाला जाता हैं
शीतकर्मा कपालभाति (sheetkrama kapalbhati)
यह व्युत्क्रम कपालभाति के विपरीत है इसमें आपको मुंह में पानी लेना होता हैं और नथुने से बाहर निकालना होता है।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे – Kapalbhati Ke Fayde | Benifits of Kapalbhati in hindi
- रोज कपालभाति करने से लिवर और किडनी से जुड़ी समस्याएं ठीक होने लगती है।
- नियमित कपालभाति करना नींद की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।
- कपालभाति करने से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग भी तेज होता हैं।
- कपालभाति प्राणायाम शरीर में ऊर्जा का स्तर बनाए रखने में मदद करता हैं
- आंखों के लिए भी कपालभाति फायदेमंद रहता है
- ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता और मेटाबॉलिज्म को भी संतुलित बनाता हैं
- फेफड़ों के स्वांस लेने की क्षमता बढ़ाता हैं
- गैस और एसिडिटी की समस्या में भी लाभकारी होता है।
नाडियों को शुद्ध बनाता
नियमित रूप से कपालभाति करना नसों और नाडियों को शुद्ध बनाता हैं। इससे शरीर के 80% विषैले तत्व बाहर जाती सांसों के साथ निकल जाते है।
मधुमेह में लाभदायक
मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए भी कपालभाति का अभ्यास करना लाभकारी होता हैं कपालभाति प्राणायाम ब्लड शुगर कंट्रोल करता और खून को भी साफ करता हैं।
आंतो की मांसपेशियों को सक्रिय बनाता
कपालभाति प्राणायाम करने से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं इससे पाचन भी सही होता है। आंतो के मजबूत बनने से गैस, एसिडिटी जैसी समस्या नहीं आती हैं।
वजन कम करने में सहायता करता
जो लोग वजन कम करना चाहते हैं कपालभाति करना उनके लिए भी फायदेमंद साबित होता हैं। ये पेट से अतिरिक्त वसा को कम करता हैं और फैट बढ़ने से रोकता हैं
पाचन क्रिया ठीक रखता
सांस छोड़कर पेट में संकुचन लाने से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं लीवर भी सही से पाचन रसायन स्त्रावित कर पाता है यानी पाचन क्रिया संतुलित रहती हैं।
मन शांत बनाता
कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास मन की चंचलता दूर करता हैं मन शांत और स्थिर बनाता हैं। मन का भटकना दूर होता है आप हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न होते हैं।
रक्त परिसंचरण करने में सहायता करता
कपालभाति नसों व नाड़ियों को शुद्ध बनाता और उनमें ब्लॉकेज को भी दूर करता है ब्लॉकेज खुलने से शरीर में रक्त परिसंचरण उचित रूप से होता हैं।
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र मजबूत बनाता
नियमित प्राणायाम करने से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र मजबूत बनता हैं यह दिमागी क्षमता को भी बढ़ाता हैं तंत्रिकाओ के बीच नए कनेक्शन स्थापित कराता है
विषैले पदार्थों को बाहर निकालता
नियमित कपालभाति करने से शरीर के विषैले तत्वों की शुद्धि होती हैं तथा शरीर विषैले तत्वों को बाहर निकालने लगता हैं। जिससे आप और अधिक स्वस्थ्य बनने लगते हैं।
अनिद्रा दूर करता
कपालभाति करना नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है रात में बुरे और भयानक सपने भी नहीं आते, जिससे आप चैन कि नींद सो पाते हैं।
मानसिक विकार दूर होते है
कपालभाति प्राणायाम मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक ढंग से प्रभावी होता हैं ये मानसिक विकार दूर करता है
खून साफ करता
कपालभाति करना बन्द नसों को खोलता और रक्त को भी शुद्ध बनाता हैं। ये शरीर में रक्त परिसंचरण को भी सही करता हैं जिससे आप अधिक जवान और ऊर्जावान बनते हैं।
कपालभाती से पहले किये जाने वाले प्राणायाम
- भस्त्रिका प्राणायाम
- अग्निसार प्राणायाम
सावधानियां कपालभाति प्राणायाम करते समय क्या नही करना चाहिए? | Kapalbhati kaise kare precautions
वैसे तो कपालभाति प्राणायाम करने के फायदे अनेक है लेकिन किन्हीं लोगों अथवा अवस्थाओं में कपालभाति का अभ्यास हानिकारक हो सकता हैं जैसे –
- यदि आप हार्निया या अल्सर के रोगी हैं तो कपालभाति अभ्यास करना आपके लिए नुकसनदायक हो सकता हैं
- गर्भधारण कर चुकी महिलाए एवं मासिक धर्म के समय कपालभाति का अभ्यास ना करें
- चक्कर आने, सिर दर्द हो तो अभ्यास रोक दे एवं विश्राम करें
- अस्थमा, उक्त रक्तचाप और दिल की बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियो को श्वास धीमी गति से निष्कासित करना चाहिए
कपालभाति के बेहतर अभ्यास के लिए इन उपायों को अपनाए –
- ध्यान केवल बाहर जाती सांसो पर केंद्रित रखें,
- कपालभाति अभ्यास करते समय सांसो को तेजी से बाहर की ओर फेंके (जोर से सांस बाहर छोड़ें)
- स्वास लेने के लिए अधिक चिंता ना करें, क्योंकि जैसे ही पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ेंगे स्वतत: श्वास आपके पेट में आ जायेगी
योग्य प्रशिक्षक के निर्देश में कपालभाति का अभ्यास सर्वश्रेष्ठ हैं घर पर भी इसका अभ्यास किया जा सकता हैं
कपालभाति प्राणायाम करने की विधि | Kapalbhati Kaise Kiya Jata Hai
- आराम से बैठे, रीढ़ सीधी, हथेलियां घुटनों पर रखें
- शुरूआत एक लंबी व गहरी स्वास से करें
- पुनः स्वास भरे तथा जैसे ही आप स्वास छोड़ने जाए, पेट अंदर की ओर खींचे। पेट को अंदर इस प्रकार खींचना है जैसे वह हड्डीयों को छू रही हों।
- जब पेट की मांसपेशियों को आप ढीला करेंगे, स्वास पुनः फेफड़ों के अंदर आने लगेगी।
- लगभग 20 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं
- पहला राउंड खत्म होने के बाद कुछ देर आराम करें
- कपालभाति प्राणायाम के 2 राउंड जरूर करें
कपालभाति प्राणायाम कब करना चाहिए? | Kapalbhati pranayam kab karna chahiye
कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास खाली पेट करना उचित रहता है। 3 से 4 घंटे भोजन के पश्चात अथवा सुबह के समय (ब्रह्म बेला में) अभ्यास करें
योगाभ्यास की शुरुआत कपालभाति प्राणायाम से करना आपको बेहतर शुरूआत देगा। कपालभाति के साथ भस्त्रिका प्राणायाम भी कर सकते हैं। जिसके पश्चात आप आसनों के अभ्यास हेतु तैयार हो जाएंगे।
कपालभाति प्राणायाम के बाद आप इन योग आसनों का अभ्यास कर सकते हैं –
- हस्तउत्तानासन
- हस्तपद्मासन
- कटिचक्रासन
- अर्धामत्स्येंद्रासन
- धनुरासन
- सेतुबंध आसन
क्या रात में अथवा शाम के समय कपालभाति प्राणायाम कर सकते हैं?
कपालभाती का अभ्यास आपको शांत और शुद्ध वातावरण में करना चाहिए। सुबह और शाम के समय वातावरण शांत होता है अतः इस समय कपालभाति प्राणायाम किया जा सकता हैं
कपालभाति प्राणायाम करते समय कौन कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
- हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में यह प्राणायाम धीरे धीरे करना चाहिये (60 बार एक मिनट में ) है।
- धूल-धुआं-दुर्गन्ध, बन्द व गर्म वातावरण में यह प्राणायाम न करें।
- मासिक चक्र के समय और गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
- बुखार, दस्त, अत्यधिक कमजोरी की स्थिति में इसे न करें।
- कब्ज़ की स्थिति में यह प्राणायाम न करें। गुनगुने पानी में नींबू डालकर पेट साफ करें और फिर इसके बाद ही इसे करें।
- बाहर की ओर निकले हुए पेट को शीघ्र घटाने के चक्कर में अनेक लोग दिन में कई बार इस प्राणायाम को करते हैं, जो हानिप्रद है।
- खाना खाने के बाद 4घंटे तक कपाल भाति प्राणायाम न करें।
Dhyanlok के कुछ शब्द
kapalbhati Kaise Kare : कपालभाती के फायदे (kapalbhati ke fayde) कपालभाती प्राणायाम शरीर के सभी अंगों की शुद्धि करता है। इसके अभ्यास से शरीर के सभी विषैले तत्व बाहर निकल जाते है। कपालभाती प्राणायाम के अभ्यास से व्यक्ति तेजस्वी बनता है।