सूर्य नमस्कार 12 आसनों का योग है। जिसमें शरीर के समस्त अंगों का व्यायाम होता है। आत्मविश्वास, आत्मबल में वृद्धि होती एवं शरीर के समस्त विकार दूर होते हैं।
सूर्य से प्रार्थना करें की हे सूर्य भगवान ! हमारे अंदर आत्मबल और मनोबल की वृद्धि हो इस भाव से सूर्य का ध्यान करें।
ओ३म – तेजोऽसि तेजो मयि धेहि |
ओ३म – वीर्यमसि विर्यं मयि धेहि ||
ओ३म – बलमसि बल मयि धेहि |
ओ३म – ओजोऽस्योजो मयि धेहि ||
ओ३म – मन्युरासि मर्न्युमयि धेहि |
ओ३म सहोऽसि सहो मयि धेहि ||
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सूर्य नमस्कार 12 आसना | Complete Surya Namaskar in hindi
प्रथम अवस्था ( प्रणाम आसन )
ओ३म मित्राय नमः
कंबल या दरी पर पूर्व मुखाकेंद्र खड़े होय, पैरों की एड़ी व पंजे समान्तर मिले हो, तथा दोनों हथेलियां प्रणाम मुद्रा में वक्ष स्थल (हृदय) पर रखें।
द्वितीय अवस्था हस्तउत्तानासन
ओ३म रवये नमः
दोनों नासिका रंध्रो से स्वांस भरते हुए सामने से दोनों हाथों को ऊपर उठाएं तथा गर्दन सहित पीछे ले जाए। और आकाश में दृष्टि लगाएं।
तृतीय अवस्था पादहस्तासन
ओ३म सूर्याय नमः
दोनों नासिका रंध्रो से मध्यम गति से स्वांस छोड़ते हुए सामने की ओर कमर से झुके, हथेलियां पैरो के दोनों ओर पृथ्वी को स्पर्श करने का प्रयास करें एवं सिर घुटने से लगाने का प्रयास करें। ध्यान रहे घुटने न मुड़ने पाए
चतुर्थ अवस्था अस्वसंचालनासन
ओ३म भानवे नमः
स्वांस खीचकर बायां पैर यथाशक्ति पीछे ले जाय और पंजे को भूमि पर स्थापित करें, दाहिना घुटना ऊपर उठाकर सीने को ताने सामने देखते हुए स्वास को समान्य रखें, अश्व की भांति शरीर को रखे। ध्यान रहे दाहिना पैर व दोनों हाथ समांतर अवस्था में हो।
पंचम अवस्था पर्वतासन
ओ३म खगाय नमः
स्वतत: धीरे धीरे स्वांस लेते हुए आगे वाले पैर को पीछे ले जाएं तथा पैरो के अंगुलियों व हंथो में दबाव देते हुए नीम्बतो को ऊपर उठाय तथा दृष्टी नाभि पर रखें।
षष्टम अवस्था अष्टांगनमन आसन
ओ३म पुष्णे नमः
शरीर के आठ अंगो को धरती पर स्पर्श कराए, पहले दोनों घुटनों, छाती दोनों हाथ, ठुद्दी व पैर से जमीन को स्पर्श करें। स्वांस प्रवांस सामान्य रखें।
सप्तम अवस्था भुजंगासन
ओ३म हिरण्यगर्भाय नमः
जमीन पर पेट के सहारे लेट जाए व दोनों हाथों के सहारे स्वांस अंदर भरते हुए धीरे-धीरे छाती के बाद को नाभि तक ऊपर उठाए तिलक के स्थान को देखने का प्रयास करें।
अष्टम अवस्था पर्वतासन
ओ३म मरिचये नम:
स्वांस खींचते हुए दोनों पैरों के पंजों के सहारे झुक जाए व कमर के भाग को पर्वत की भांति ऊपर उठाले व नाभि को देखने का प्रयास करें
नवम अवस्था अस्वसंचालनासन
ओ३म आदित्याय नमः
चतुर्थ अवस्था की तरह एक पैर को दोनों हाथों के मध्य में ले आए व घुटनों को मोड़कर छाती को घुटने पर लगाकर ऊपर की ओर देखने का प्रयास करें, दूसरे पैर को यथासामर्थय घुटने जमीन पर स्पर्श करते हुए स्तिथ रहें
दशम अवस्था पादहस्तासन
ओ३म सावित्रे नमः
तृतीय अवस्था की भांती स्वांस लेते हुए पीछे पैरों को आगे की ओर ले जाए। दोनों हथेलियां से जमीन स्पर्श करते हुए शिर को घुटने पर यथासंभव स्पर्श करने का प्रयास करें।
एकादश अवस्था हस्तउत्तानासन
ओ३म अर्काय नमः
द्वितीय अवस्था की तरह स्वांस अंदर भरते हुए धीरे-धीरे कमर से शरीर को सीधा करें और हाथों को गर्दन सहित यथासंभव ऊपर से पीछे लेजाने का प्रयास करें
द्वादशा अवस्था प्रणाम आसन
ओ३म भास्कराय नमः
स्वांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को जोड़ते हुए हृदय स्थल पर लाए व सूर्य भगवान को धन्यवाद दे।
सूर्य नमस्कार योग करने से लाभ
सूर्य नमस्कार योग यौगिक व्यायामों में सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इस एक व्यायाम से मनुष्य आसन, मुद्रा और प्राणायाम के लाभ से लाभान्वित होता है।
फेफड़ों के अंदर शुद्ध प्राणवायु का प्रचुर मात्रा में संचार होने के कारण अभ्यासी का शरीर सूर्य के समान कांतिवान बन जाता हैं। शरीर के सभी अंग इससे प्रभावित होते हैं।
फल स्वरुप सीना चौड़ा व पुष्ट होता हैं। भुजाएं सुंदर, कमर पतली, जंघा पिंडली और पैर अति सुंदर हो जाते हैं। चर्म संबंधी बीमारियां दूर होती है जठारग्नि को प्रदिप्त कर उदर संबंधी विकारों का विनाश कर उदर की अनावश्यक चर्बी कम कर देता है। मेरुदण्ड और कमर लचीली हो जाती है। आलस्य और अतिनिंद्रा दूर होती है।
सूर्य नमस्कार योग करने में सावधानियां
- हर्निया के रोगी से ना करें
- उच्च रक्तचाप योगी ना करें
Dhyanlok के कुछ शब्द
Complete Surya namaskar in Hindi : सूर्य नमस्कार योग आसानो में सबसे महत्व पूर्ण माना जाता है, इसमें शारीर के सभी अंगों का व्याम हो जाता है