ध्यान में समय महत्व रखता है इसलिए ऐसा नहीं आप कहीं-भी और कभी-भी इसमें लग जाय, हालांकि, ऐसा करना भी गलत नहीं होगा। ध्यान के अनुभव आपको एक निश्चित समय अंतराल बाद ही दिखना शुरू होते है।
इसलिए मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए तथापि ध्यान के अनुभव, यह सब आपके द्वारा लगाए गए समय सीमा पर भी निर्भर करता है।
तो सवाल अभी भी वही है – मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए? (meditation kitni der kare)
सामान्यतः रोज 10 मिनट मेडिटेशन करना पर्याप्त रहता है। क्युकी 10 से 15 मिनट का ध्यान किसी भी अभ्यासी को लाभांवित करने के लिए पर्याप्त है। यदि आपके पास समय न हो, आप इससे भी कम समय के लिए मेडिटेशन कर सकते हैं। एक से ज्यादा समय में अभ्यास पूर्ण करने में भी कोई बुराई नहीं हैं।
लेकिन ध्यान के अनुभव आपको एक सही तथा निश्चित समय अंतराल पश्चात ही प्राप्त होगें या महसूस होगें, इसलिए आइए जानते हैं ध्यान लगाने का सही तरीका क्या होना चाहिए या मेडिटेशन कितनी देर करना पर्याप्त रहता है? मेडिटेशन से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर meditation kitni der kare
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मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए ? ध्यान और समय का संबंध | meditation kitni der kare| meditation in hindi
आगे पढ़े : मेडिटेशन कैसे करें
इसमें कोई शक नहीं, जितनी देर आप ध्यानमग्न रहते हैं मन की एकाग्र व स्थिर रहने की क्षमता विकसित होती हैं।
जब आप स्थिरता और स्थायित्व की प्राप्ति कर लेते हैं तभी आप अगले चरण में प्रवेश कर पाते हैं। इसलिए यहां आपको मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए? इसका नहीं… अपितु, उस समय आप किस स्तर पर मेडिटेशन कर रहे है ज्यादा मायने रखता है।
आसान शब्दों में कहा जाए तो आपको मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए इस पर नहीं बल्कि मेडिटेशन की गुणवत्ता को अधिक महत्व देना चाहिए। क्योंकि कई बार ध्यान की अवस्था में तो हम रहते है पर एकाग्रता नहीं रहती।
ध्यान में यदि मन भटकता है चेतना स्थिर नहीं रहतीं, हालांकि, घबराए नहीं! क्योंकि ध्यान में मन भटकना बिल्कुल सामान्य है। आप प्रयास करते रहे, भटकते मन को कैसे शांत करें इसके लिए अनेको उपाय है उनका प्रयोग करें meditation kitni der kare
ध्यान करने का सही तरीका क्या है? | ध्यान करने के जरूरी नियम | rules of meditation
हालांकि, ध्यान की विधियां अनेक है। कुछ बेहद सरल तो कुछ अत्यंत कठिन, परंतु जिन मेडिटेशन टेक्नीक्स को हम सभी जानते हैं वे सब सरल विधियां हैं। जो हमें एकाग्रता के ऊंचे स्तर पर पहुंचाने का रास्ता दिखाती हैं…
वैसे ध्यान करने का कोई गलत तरीका तो नहीं है, लेकिन अभ्यासी को ध्यान के पूर्व कुछ महत्वपूर्ण बातों का विशेष ध्यान रखना होता है तभी वह ध्यान की उच्चतम गहराई में शामिल हो पाता है।
- ध्यान हमेशा खाली पेट करें
- भोजन के 3 घंटे पश्चात ही ध्यान करें
- प्रातः व सायकाल में ध्यनाभ्यास सर्वश्रेष्ठ रहता
- ध्यान से पूर्व शौच नियमित हो जाएं
- एकांत में ध्यान करें
- शारीरिक असुविधाओ का ध्यान रखें
उपरोक्त कथनो का पालन आपको Deep meditation प्राप्त करने में सहायता करेगा
ध्यान के लिए उपयुक्त समय क्या है? | मेडिटेशन कब करना चाहिए | Meditation kab karna chahiye
प्राचीन ऋषियों के मुताबिक सुबह व शाम को ध्यान करना अत्यधिक लाभदायक माना जाता है। इस समय का वातावरण शांत रहता हैं जिससे किसी प्रकार के विघ्न उत्पन्न होने की संभावना नहीं रहती तथा आप गहराई से ध्यान कर पाते हैं।
परंतु यदि आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तब आपको अपनी इच्छानुसार सही समय का चुनाव कर ध्यनाभ्यास करना चाहिए
जरूरी बात: यदि आप लंबे समय तक ध्यान नहीं कर पाते। आप छोटी-छोटी अवधि बना कर इसका अभ्यास करें, दिन में दो से तीन बार मेडिटेशन करना लाभदायक रहेगा।
क्या कोई विशेष ध्यान होता है? | ध्यान की कौन सी विधी सर्वश्रेष्ठ हैं | types of meditation in hindi
प्रतियेक ध्यान विधि का अपना महत्व होता है, इसलिए यहां सभी बराबर है। सभी ध्यान के प्रकार अपनी विशेषताओं एवं लाभदायक गुणों के कारण अभ्यास किए जाते हैं।
मंत्रा मेडिटेशन में मनुष्य ध्वनि तरंगों के माध्यम से खुद की एकाग्रता को उच्च स्तर पर पहुंचाने का प्रयास करते हैं जहां पहुंचने की कामना प्रत्येक मनुष्य की रहती है।
वहीं माइंडफुलनेस मेडिटेशन अभ्यास से मनुष्य अपनी स्वांसो के माध्यम से स्थिरता और स्थायित्व की प्राप्ति करता है। जिससे वह उच्च एकाग्रता की ओर अग्रसर हो पाता है।
जरूरी बात ये है अपने लिए ध्यान विधि चुनने से पूर्व आपको यह जान लेना चाहिए, आपकी अवश्यकताए क्या है? अर्थात – ध्यान आप क्यों करना चाहते हैं? जिससे आप इसकी सही विधि का चयन कर पाएंगे।
क्या ज्यादा ध्यान अधिक लाभ करता हैं? | लंबे ध्यान से क्या होता हैं | How long should one meditate
हां… यह सत्य है, लंबी अवधि ध्यान में बिताना लाभदायक होता है। इससे आप स्वयं को स्थिर रख पाते हैं ध्यान की गहराइयों के बीच उत्पन्न हुए जटिलताओं का सामना सही से कर पाते है।
आपको यह भी ध्यान देना चाहिए सिर्फ ज्यादा देर ध्यान करना ही सब कुछ नहीं, यदि ध्यान में बार-बार आपका मन भटकता है या आप बीच में उठ जाते है। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है
आपको अपनी एकाग्रता बनाए रखने पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि यदि आप सही से ध्यान नहीं करेंगे, तो उच्च स्तर की प्राप्ति नहीं कर पाएंगे।
शुरुआत में आपको अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए ध्यान (धारणा) से अभ्यास करना चाहिए। तत्तपश्चात आप गहरे ध्यान की ओर अग्रसर हो सकते है।
ध्यान के अनुभव कैसे प्राप्त करें | Deep meditation kaise kare
ध्यान में अनुभव प्राप्ति मूल लक्ष्य नहीं होना चाहिए। यह आपको फल स्वरूप ही प्राप्त हों जाएगा। जैसे-जैसे आप ध्यान की गहराई में उतरेंगे आपके लिए अनंताओं के दरवाजे भी खुल जाएंगे।
यदि आपने अभी-अभी ध्यानाभ्यास शुरू किया है तो अभ्यास पर निहित रहें। जब साधक शुरुआत में ही लाभ प्राप्ति पर केंद्रित हो जाता है तब वह ध्यान सही से नहीं कर पाता
ध्यान में अनुभव आनेको होते हैं। पर सामान्यतः जो मनुष्य महसूस करता है – शारिरिक कम्पन, ध्वनि सुनाई देना, प्रकाश का दिखना इत्यादि
हो सकता है आपको ध्यान में कोई अनुभव होय ही ना, इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है आप सही से ध्यान नहीं करते? परंतु ऐसा भी हो सकता हैं ध्यान में आपको कोई अनुभव हो ही ना…। चिंता न करें आप ध्यान सही से कर रहे हैं
FAQ.
ध्यान किस दिशा में करना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशा में मुख कर ध्यनाभ्यास करना चाहिए।
ध्यान करते समय क्या सोचना चाहिए?
यदि आप नए साधक हैं तो एक जगह ध्यान लगाकर (धारणा) ध्यनाभ्यास करें
मेडिटेशन के नुकसान?
यदि आप ध्यनाभ्यास से पूर्व रखे जाने वाले नियमों का पालन करते है तो आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
मेडिटेशन करते समय कौन कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?
- वस्त्र ढीले हो
- समतल भूमि में ही अभ्यास करें
- खुली जमीन पर ध्यनाभ्यास कभी न करें
- शारीरिक असुविधो का ध्यान रखें
- प्रसन्न चित्त मुद्रा में ध्यान करें
- नियमित अभ्यास के लिए स्वयं को प्रेरित करें
Dhyanlok के कुछ शब्द
मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए ? इसका कोई सार्थक उत्तर नहीं हो सकता। आप जितनी देर चाहे मेडिटेशन कर सकते है। और ऐसा भी नहीं है कि ज्यादा देर मेडिटेशन करना ही लाभदायक होगा अपितु आपको ध्यान की गुणवक्ता पर अधिक ध्यान देना चाहिए।