भुजंगासन क्या है और कैसे करें ? | Bhujangasana in hindi

टारगेट : पीठ
भुजंगासन में हमारे शरीर के ऊपरी भाग कोबरा सांप के जैसे उठा रहता है भुजंगासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना हैं भुजंग यानी कोबरा या सांप और आसन, भुजंगासन का अधिकांशतः अभ्यास सूर्य नमस्कार के रूप में भी किया जाता है।
भुजंगासन में ध्यान दें नाभि से पैर तक अंग जमीन से सटा रहे, जैसे जैसे आप वक्ष को ऊपर उठाते हैं। यह विनाश योगा में अधोमुखासन का बेहतरीन विकल्प है। लेकिन भुजंगासन अपने असल रुप में भी बहुत प्रभावशाली योगासन है इस लिए आपको इसे अपने योगाभ्यास में जरूर शामिल करना चाहिए।
भुजंगासन जिसमें कलाइयां मुड़ी हुई होती है उसे अर्ध भुजंगासन कहते हैं कलाइयां बिल्कुल सीधी है तो यह पूर्ण भुजंगासन है।

भुजंगासन का अभ्यास कैसे करें | Bhujangasana step by step instructions

अगर आप सूर्य नमस्कार के बीच में हैं तो आप भुजंगासन में घुटने, छाती और ठुद्दी के बाद पहुंचेंगे। अगर नहीं तो सीधे पेट के बल लेटकर शुरुआत करें
  • हथेलियों कंधों के सीध में जमीन से सटाकर रखें, कोहनी मुड़ी और ऊपर उठी हुई
  • कुछ देर इसी अवस्था में रुके 
  • स्वांस भरते हुए सीने को उठाए, कंधों को यथासंभव पीछे ले जाने का प्रयास करें, ध्यान रखें कोहनी शरीर से सटी हुई हो उन्हें शरीर से अधिक दूर ना फैलाएं
  • गर्दन अधिक ना घुमाएं
  • श्वास छोड़ते हुए पुन: जमीन पर आए अथवा अधोमुखासन यदि आप सूर्य प्राणायाम कर रहे हैं

भुजंगासन के अभ्यास में अक्सर की जाने वाली गलतियां | common mistakes in Bhujangasana

हाथों को कंधों के सिध में रखना आवश्यक है यदि हंथेलियां शरीर से अधिक दूरी पर होंगी तो आपके कंधे कान तक आने लगेंगे
इस बात का भी ध्यान रखें, कलाइयों को इतना भी सीधा ना करें कि कोहनीयों को मोड़ पाना कठीन हो जाए। आप चाहे तो कोहनीयों को हल्का मोड़ सकते हैं। कलाइयों को 90 डिग्री पर रखे। कोहनी शरीर के पीछे की ओर इशारा करे ना कि साइड से बाहर निकल रही हो। इसमें आपके पेट की मांसपेशी सहायक होंगी ना कि आपकी कलाइयों की मांसपेशीयां
यहां आपकी लोवर बैक अपर बैक की तुलना में अधिक लचीली होंगी। कोशिश करें कि कर्व पूरे पीठ के लिए सामान्य हो
गर्दन को अधिक पीछे ले जाने का प्रयास ना करें, इसे सामान्य अवस्था में ही रहने दे ऊपरी रीढ़ के संतुलन में

भुजंगासन अभ्यास में सेफ्टी एंड प्रिकॉशन | safety and precautions in Bhujangasana practice

  • भुजंग आसन का अभ्यास ना करें यदि आप कार्पेल टनल सिंड्रोम से ग्रसित है
  • बैक इंजरी, कलाइयां, कंधो में समस्या होने पर भुजंगासन ना करें
  • एब्डोमिनल सर्जरी हुई हो तो भुजंगासन से परहेज करें
  • गर्भवतीयों को भी भुजंगासन के अभ्यास से परहेज करना चाहिए
यदि आप लोअर में बहुत ज्यादा दबाव महसूस करते हैं तो खुद को रिलैक्स करने के लिए शरीर को थोड़ा नीचे लाएं अथवा पूरी तरह नीचे आकर बाजुओं को आराम दे।

भुजंगासन के लाभ | Benefits of Bhujangasana in hindi

भुजंग आसन का अभ्यास रीढ़ की गतिशीलता बढ़ाता है यह रीढ़ को सपोर्ट करने वाले मसल्स को मजबूत बनाता और पीठ दर्द से भी आराम पहुंचाता है। इससे वक्ष और शरीर के अग्रभाग खुलते हैं।
  • कंधे और गर्दन खुलते हैं
  • एब्डोमेन को मजबूत बनाता
  • पीठ और कंधे को मजबूत बनाता
  • अपर और मिडिल बैक को लचीला बनाता
  • वक्ष को खोलता
  • रक्त संचार बढ़ाता
  • तनाव और थकान दूर करता
  • स्वांस संबंधी रोग जैसे अस्थमा में कारगर

भुजंगासन की कुछ शर्तें

यह आवश्यक है भुजंगासन का अभ्यास आप तभी करें जब आपका शरीर सामान्य अवस्था में हैं तभी आपको इसके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगें
भुजंगासन को मुख्य भोजन के 4 से 5 घंटे बाद ही करें, इससे आपको पेट के बल लेटने में परेशानी नहीं होगी
अभ्यास से पूर्व शरीर को थोड़ा स्ट्रैच जरूर करें, कलाइयों, कंधों, गर्दन और पीठ को ढीला करने के लिए
योगासन को प्रात काल में करना सबसे अधिक फायदेमंद रहता है। हालांकि, यदि आपके पास समय नहीं है तो आप संध्या के समय योगासन कर सकते

भुजंगासन से पहले किए जाने वाले आसन

भुजंगासन अभ्यास करना तब और आसान हो जाता है जब भुजंगासन से पूर्व आप इन आसानो का अभ्यास करते हैं
  • अधोमुखआसन
  • सलंब भुजंगासन

FAQ. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भुजंगासन का अभ्यास कैसे करें?

भुजंगासन के अभ्यास के लिए पेट के बल लेटे, हथेलियों और कंधे से खुद को सपोर्ट करते हुए स्वांस भरे और सिर को ऊपर उठाए, छाती यह तब तक करें जब तक कोहनी थोड़ी मुड़ी और गर्दन थोड़ा पीछे ना चला जाएं, नाभि से पैर जमीन से सटे हो। चार स्वांस तक इस अवस्था में रुके तथा चार से पांच बार इसे दोहराएं।

भुजंगासन का अभ्यास कितनी देर करें?

भुजंगासन का अभ्यास करते समय आपको इसे लगभग चार स्वांस के जितना समय रुकना चाहिए, तथा चार से पांच बार भुजंगासन दोहराएं। इसे आप जितनी अधिक अवधी आरामदायक रूप में कर सकते हैं अभ्यास करें

भुजंगासन को कितनी बार करें?

भुजंगासन चार से पांच बार सुबह अथवा शाम के समय करना चाहिए।

योग में भुजंगासन क्या है?

भुजंगासन में हमारे शरीर का ऊपरी भाग कोबरा सांप के जैसे उठा हुआ होता है। भुजंगासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना हैं भुजंग यानी कोबरा या सांप और आसन, भुजंगासन का अभ्यास अधिकतर सूर्य नमस्कार के रूप में भी किया जाता हैं

क्या भुजंगासन से बैली फैट कम कर सकते है?

भुजंगासन बैली फैट रिड्यूस करने के लिए बेहतरीन योग आसन माना जाता हैं यह एब्डॉमिनल मसल्स को भी मजबूत बनाता है।

क्या भुजंगासन फेफड़ों के लिए अच्छा हैं?

भुजंग आसन का अभ्यास वक्ष को खोलता है जो फेफड़ों के लिए भी लाभदायक होता है। इससे स्वसन संबंधी सभी विकार दूर होते हैं
Dhyanlok के कुछ शब्द
भुजंगासन अपने असल रुप में ही बहुत प्रभावशाली योगासन है आपको इसे अपने योगाभ्यास में जरूर शामिल करना चाहिए। 
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