योगाभ्यास के लिए 10 सबसे शक्तिशाली मेडिटेशन मुद्राएं

योगाभ्यास में मुद्राओं का उपयोग एक शक्तिशाली प्रयोग है अपने अभ्यास को सही दिशा और प्रोत्साहन देने का योग का मूल लक्ष्य बाहर से अंदर की ओर मुड़ना होता है मुद्राएं अंदर को मुड़ने और शरीर में मौजूद विभिन्न ऊर्जा केंद्रों में उर्जा प्रवाह को बढ़ाने में सहायता करती है
मुद्रा अर्थात हाथों से किए जाने वाले इशारे, कुछ विशेष इशारे जो हम योगाभ्यास अथवा ध्यान अभ्यास के दौरान करते हैं एक हस्त मुद्रा आपके शरीर में एक, दो अथवा बहुत से विशेष ऊर्जा केंद्रों को प्रभावित करते है
यहां 100 से भी अधिक मुद्राएं हैं जिसे सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है आप इन 10 विशेष मुद्राओं का उपयोग मानसिक चेतना के विकास ऊर्जावान बने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कर सकते हैं

योगाभ्यास के लिए 10 सबसे शक्तिशाली मेडिटेशन मुद्राएं

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ज्ञान मुद्रा

योगाभ्यास में बढ़ती रूचि में आज के समय सबसे अधिक प्रयुक्त ज्ञान मुद्रा है अधिकतर देखा जाता है ध्यानी अक्सर इस मुद्रा के साथ ध्यान करते हैं ज्ञान मुद्रा का उद्देश्य एकाग्रता बढ़ाने और बौद्धिक क्षमता में विकास लाना होता है ज्ञान वर्धन में या मुद्रा अत्यंत लाभकारी है इसलिए ध्यान करते समय इस मुद्रा का उपयोग अवश्य करें
विधि : इस मुद्रा को करने के लिए अपनी तर्जनी और अंगूठे के सिरे को मिला तथा बची हुई उंगलियों को सीधा रखें
धातु : आकाश और वायु

बुद्ध मुद्रा

इस मुद्रा का उपयोग चेतना में स्पष्टता प्राप्त करने के लिए किया जाता है इस मुद्रा का उपयोग आपको तब करना चाहिए जब आपको अपने अवचेतन मन से संवेदनशील जानकारियां प्राप्त करनी है जैसे सपने जो आपको परेशान करते हैं इस मुद्रा को अपनाने का एक बहुत बड़ा फायदा यह है यह आंतरिक और बाहरी के वार्तालाप मैं मदद करता है
विधि : इस मुद्रा में आपको अंगूठे से अपनी छोटी उंगली के सीरे को छूना होता है तथा बाकी तीन उंगलियों को सीधा रखें
धातु : आकाश और धरती

शूनी मुद्रा

इस मुद्रा का उपयोग सतर्कता व ज्ञानेंद्रियों की शक्ति बढ़ाने में किया जाता है या भावनाओं और विचारों को भी शुद्ध बनाता है
विधि : इस मुद्रा को करने के लिए मध्यामिका के सिरे को अंगूठे के सिरे से मिलाए तथा बची हुई उंगलियों को सीधा रखें
धातु : आकाश और अग्नि

प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा को सबसे महत्वपूर्ण मुद्राओं में एक माना जाता है क्योंकि यह शरीर में सुप्त उड़ जाऊं को सक्रिय बनाता है प्राण सभी सचिव प्राणियों के जीवन का स्रोत है यह मुद्रा आपमे प्राण शक्ति के प्रवाह को बढ़ाती है और उसे संतुलित करती है
विधि : इस मुद्रा को करने के लिए अपनी अनामिका और छोटी उंगली के सिरे को अंगूठे से छुए तथा बाकी दोनों उंगलियों को सीधा रखें
धातु : आकाश और जेल

ध्यान मुद्रा

ध्यान मुद्रा का उपयोग पूर्वी देशों में ध्यान अनुशासन में अक्सर प्रयोग किया जाता है अधिकतर बुद्धा इस मुद्रा में दिखाए जाते हैं इस मुद्रा की विशेषता है या आपको अधिक गहरे ध्यान और एकाग्रता को बनाता है यह मुद्रा गहरी शांति और परमानंद की अनुभूति कराता है
विधि : ध्यान मुद्रा के लिए हथेलियों को ऊपर की ओर मुख रखें बैठे दाएं हथेली बाई हथेली के ऊपर हो दाया हाथ आपके आध्यात्मिक विकास को दर्शाते हैं जो आप के बाएं हाथ पर स्थित है जो इस भौतिक संसार को दर्शाता है
धातु : सभी धातु

सूर्य मुद्रा

सूर्य मुद्रा का उद्देश शरीर में ताकत अग्नि ऊर्जा को बढ़ाना होता है यह मेटाबॉलिज्म और 5 अंकों भी ठीक करता है यह शरीर के भारीपन को भी कम करता है और हल्का बना दें क्योंकि यह शारीरिक तापमान में बढ़ोतरी ला देता है
विधि : इस मुद्रा को करने के लिए अपनी अनामिका के सिरे से अंगूठे के तल वाले स्थान को स्पर्श करें जिससे अंगूठा अनामिका के जोर को छुए बच्चे हुई उंगलियों को सीधा रखें
धातु : आकाश और जैन

अपना मुद्रा

अपना मुद्रा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के पाचन में लाभदायक है यह शरीर में दूषित पदार्थों को बाहर निकालता है यह मुद्रा मानसिक और भावनात्मक कमजोरियों को स्वस्थ बनाने में उपयोगी है
विधि : इस मुद्रा के लिए आपको अपने मध्यामिका और अनामिका को अंगूठे के सिरे के पास लाना होगा कुछ ट्रेडीशन में इसे अंगूठे के सिरे से थोड़ा नीचे रखा जाता है
धातु : आकाश, अग्नि और जल

गणेश मुद्रा

गणेश मुद्रा का उपयोग भी बहुत जगह पर किया जाता है इसका नाम भगवान गणेश के नाम पर रखा गया है कहा जाता है गणेश आने वाले अवरोधों को दूर करते हैं उसी तरह यह मुझे जीवन में आने वाली सभी तरह की परेशानियों को दूर करने में मदद करती है यह आपको सकारात्मक और साहस देती है मुश्किल समय में इस मुद्रा के द्वारा आप अपनी सभी उर्जा ओं को सीधा के पास लाते हैं ध्यान में फिर से वही दे को सावधान बनाकर
आध्यात्मिक और मानसिक लाभ से हटकर इस मुद्रा को करना आपके कार्डिफ़ मसल के लिए भी अच्छा रहता है
विधि : बाएं हाथ को वक्त के पास लाए हथेली बाहर की ओर तथा अंगूठा नीचे की ओर,अब अपने दाहिने हाथ को बाएं हाथ के सामने ना हथेलियां आपकी तरह अब अपनी उंगलियों को फसाए अध्य मुड़े हुए अवस्था में पकड़े
मेडिटेशन करते समय इस मुद्रा को पकड़े हुए गहरी सांस लें तथा सांस छोड़ते समय खुद को बाहर की ओर खींचे बिना उंगलियों को खोलें इसे दोहराएं तथा हाथ बदलकर भी करें
धातु : सभी धातु

वायु मुद्रा

वायु मुद्रा वास 200 के लिए प्रभाव कारी होता है जैसे गैस अपच जोड़ों में दर्द उल्टी पेट की समस्या इस मुद्रा को अपनाना वाद दोषों का निवारण करता है तथा शरीर में वायु धातु को संतुलित करता है
विधि : शुरुआत में यह मुद्रा देखने में ज्ञान मुद्रा के समांतर लग सकती है वायु मुद्रा में अंतर या है इसमें आप अंगूठे को तर्जनी के जोर से भी मिलाते हैं तर्जनी और को सुविधा अनुसार नीचे दबाते हुए इस मुद्रा को आपको सुविधा पूर्ण रूप से करना है ना कि अधिक जोर लगाना
धातु : आकाश और वायु

रूद्र मुद्रा

इस मुद्रा को भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है क्योंकि आप के आंतरिक गुणों का विकास करते हैं रुद्र का संस्कृत अर्थ भगवान होता है जो इस मुद्रा के लिए भी उपयुक्त है क्योंकि यह मुद्रा आपके आंतरिक ऊर्जा केंद्रों को प्रभावित करते हैं यह विचारों में स्पष्टता और उन्हें सूत्र बनाता है इस मुद्रा को अक्सर उन्हें सलाह दी जाती है जो आलस थकान और मानसिक तनाव से पीड़ित रहते हैं आप रूद्र रूद्र का उपयोग करें अपनी शारीरिक क्षमता में विकास ला सकते हैं
विधि : इस मुद्रा को करने के लिए तर्जनी और अनामिका के सिरे को अंगूठे से छुए तथा बाकी उंगलियों को सीधे रखें
धातु : आकाश वायु और जल
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Namaskar dosto! I'm the writer of this blog, I've fine knowledge on Yoga and Meditation, I like to spread positivity through my words.

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