आपको मालूम होना चाहिए ध्यान किया या लगाया नहीं जाता, ये तो स्वाभाविक रूप से घटित होता है। यदि आप प्रयत्न सही ध्यान लगाने के लिए कर रहे है तो यह पूर्णत: ध्यान नहीं:
धरना, आप धरना कि प्रयास करते, जहां मनुष्य किसी वस्तु अथवा स्थान को केंद्र मानकर उसी में ध्यान मग्न हो जाता है।
सर्वप्रथम आपको जानने की आवश्यकता है आप ध्यान क्यों लगाना चाहते हैं? मन स्थिर करने के लिए, या स्वयं पर नियत्रण पाने के लिए, शायद आप आध्यात्मिकता की ओर कदम बढ़ा रहे होंगे।
यदि आप बिल्कुल नए है, और ध्यान लगाने का सही तरीका ढूंढ रहे हो, तो आपको ध्यान लगाने का सही तरीका ढूंढने की आवश्यकता नहीं! क्युकी ध्यान लगाना कोई चमत्कारी नहीं जिसे आप ना कर सके
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ध्यान सही लगाना क्या है – Sahi se dhyan kaise kare
वास्तव में आपको ध्यान की स्थिरता के लिए खुद को तैयार करना होता है, जिसके बाद स्वत: आप ध्यान की स्थिर अवस्था में स्वयं ही पहुंच जाएंगे।
शुरुआती समय में आपको इसे अपनाने तथा सही ध्यान लगाने में समस्या आ सकती है, परंतु घबराएं नहीं ध्यान करना स्वांस लेने तथा छोड़ने के समान है।
वास्तविकता यह है, स्वांस लेना तथा छोड़ना और स्वांस के प्रति सजग बनना ही ध्यान करने की सबसे सरलतम विधि है। जहां प्रत्येक स्वांस चेतना में नई ऊर्जा का प्रवाह करती है।
स्वांस के जाने से प्राणशक्ति भी निकल जाती, तथा आने वाले स्वांस के साथ जीवन रूपी प्राणशक्ती नित्य को लौट आती:
ध्यान लगाने का सही तरीका क्या है? – Right way to meditate in hindi
सर्वप्रथम भोजन और ध्यान के बीच कम से कम 2 घंटे की दूरी रखनी चाहिए। शांत वातावरण में ध्यान अभ्यास करना सबसे उचित रहता।
आप चाहे तो पुनरबेला अर्थात सुबह अथवा सांयकाल में ध्यान कर सकते है। इस समय का वातावरण शान्ति प्रिय रहता है। ध्यान के पूर्व आपको ढीले ढाले और आरामदायक वस्त्र का चुनाव करना चाहिए।
- पद्मासन अथवा सुखासन में बैठे
- ध्यान की समय सीमा तय कर ले
- शुरुआत लंबी और गहरी स्वांसो से करे
- हथेली घुटनों के ऊपर रखें, ज्ञान मुद्रा में
- आंख बंद कर ले
- धीरे-धीरे स्वांस प्रवास आरंभ करें
- स्वांसो पर ध्यान केंद्रित करें
- मन भटकने पर, पुनः प्रयास करें
- समय सीमा समाप्त होने पर वस्तुत: आरम्भिक मुद्रा में वापस आ जाए।
यदि आपको पद्मासन या सुखासन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो, आप ध्यान को कुर्सी अथवा मेज पर बैठकर सही से ध्यान लगा सकते है। बस ये ध्यान रखे आपकी पीठ मुड़ी ना हो, अर्थात पीठ सीधी ही रखे।
शुरुआत में मन का भटकना सामान्य है, वास्तविकता तो ये है ध्यान लगाने से मन सभी का भटकता, फिर चाहे ध्यान आप लंबे समय से ही क्यों न कर रहे हो।
लंबे समय से ध्यान करने पर आपको भटकते मन को नियंत्रित कैसे रखना चाहिए, सही ध्यान लगाने का तरीका आ जाता है।
सही ध्यान विधि कैसे पहचाने – what is right meditation technique
ध्यान के प्रकारो के साथ उसके लाभान्वित करने वालें गुणों में भी बदलाव होने लगता है। कुछ लोगो के लिए ध्यान सरल तो कुछ लोग कुछ मिनट भी सही से ध्यान नहीं लगा पाते।
अलग अलग ध्यान से होने वाले लाभ की बात करे तो, कुछ मन को स्थिर बनाते है तो कुछ एकाग्रता बढ़ाते, तो वही कुछ प्रेम का संचार भी करते हैं।
एक ध्यानी या योगी होने के नाते आपको पता होना चाहिए कि आपका मूल लक्ष्य क्या है? तभी आपको ध्यान से उस लाभ की प्राप्ति ही पाएगी जिसके लिए आप प्रयत्न कर रहे है।
ध्यान के प्रकार – types of meditation in hindi
माइंडफूलनेस मेडिटेशन
बौद्ध धर्म आए, इस मेडिटेशन को आज दुनिया में सबसे अधिक किया जाता है,बेहद ही सरल होने के कारण यह कुछ धर्मो तक ही सीमित नहीं अपितु धर्म से हटकर भी इसे किया जाता है
विपासना मेडिटेशन
ध्यान की शुरुआत में यदि आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, या आप ध्यान नहीं कर पाते, तो विपासना मेडिटेशन बहुत लाभकारी साबित होगा
लविंग किंडनेस मेडिटेशन
यदि आपके ध्यान लगाने का मूल लक्ष्य दया, प्रेम, लगाव जैसे गुणों को उभरना है तो लविंग किंडनेश मेडिटेशन बेस्ट रहता है
मंत्रा मेडिटेशन
इस ध्यान में साधक किन्हीं मंत्रो का प्रयोग ध्यान की उस चरम सीमा तक पहुंचने के लिए करता है।
अध्यात्मिक मेडिटेशन
जिसे स्प्रिचुअल मेडिटेशन भी कहा जाता है, जिसके प्रयास का मूल लक्ष्य मनुष्य को अध्यात्म से जुड़ाव करवाना है।
Dhyanlok के कुछ शब्द
सही से ध्यान कैसे लगाय (sahi se dhyan kaise lagay) : सही से ध्यान लगाने की विधि तो नहीं, पर ध्यान के उचित प्रकार को अपनाकर आप, ध्यान की जिस भी न्यूनतम अवस्था में पहुंचना चाहे, प्राप्त करना चाहे, कर सकते है।