सूर्य नमस्कार 12 बार ही क्यों किया जाता है प्रार्थना के आसन, नाम, संस्कृत के श्लोक

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सूर्य नमस्कार या सूर्य प्रणाम, इसे केवल योग आसन की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। सूर्य नमस्कार के 12 चरणों को आत्मसात करना एक समृद्ध अनुभव है। प्रत्येक आसान का अभ्यास शरीर मन और आत्मा को सूर्य की शक्तिशाली ऊर्जा से जोड़ता है, न केवल शारीरिक शक्ति को बढ़ाता बल्कि आंतरिक शांति और संतुलन जैसे अद्भुत लाभ संचालित होते हैं।

सूर्य नमस्कार 12 शक्तिशाली योग आसनों का (समन्वय) एक क्रम है, जिसे सही तरीके से करने से शरीर लचीला बनता है, मांसपेशियां मजबूत होती हैं सूर्य नमस्कार 12 शारीरिक स्थितियों से मिलकर बना है। बारी-बारी से आगे तथा पीछे मुड़ने वाले इन आसनों के माध्यम से शारीरिक अंगों तथा मेरुदंड में काफी खिंचाव उत्पन्न होता है तथा वे लचीले भी बनते हैं। अतः अन्य आसनों की अपेक्षा सूर्य नमस्कार अधिक प्रभावशाली है

अगर आप सूर्य नमस्कार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहते हैं, तो इसे सही विधि से करना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका, इसके सभी 12 आसन (Poses) और इसके अद्भुत लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

अभ्यास के दौरान प्रार्थना (मंत्र) पाठ करना भी आवश्यक है। जो प्रतिदिन निश्चित समय पर सूर्य नमस्कार करेगा, उसको आयु, प्रज्ञा, बालम, वीर्य, तेजस्तेषां च जयते। अर्थात दीर्घायु, प्रज्ञाए, बल, वीर्य एवं तेज प्राप्त होगा। सूर्य नमस्कार करते समय निम्नलिखित प्रार्थना करने के पश्चात प्रत्येक अवस्था (स्थिति) के साथ सूर्य के विभिन्न नाम का उच्चारण करके उन्हें मन ही मन प्रणाम करें।

Table of Contents

सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका क्या है | Surya Namskar all 12 poses in hindi

सूर्य नमस्कार का अर्थ है “सूर्य को प्रणाम”। यह योगासनों का एक क्रमबद्ध समूह है, जिसमें 12 अलग-अलग मुद्राएँ शामिल होती हैं। सूर्य नमस्कार हमेशा खुली शांत और स्वच्छ जगह पर करना चाहिए। कभी भी आप सूर्य नमस्कार को इस तरह ना करें कि आप हांपने लगे। योगाचार्यों के अनुसार, सूर्य नमस्कार करने से शरीर में प्राण शक्ति (Life Energy) बढ़ती है और यह संपूर्ण स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है।

सूर्य नमस्कार के मंत्रो के साथ नमः का उच्चारण किया जाता है। प्रत्येक मंत्र का अलग-अलग अर्थ है यह वचनों से किया हुआ नमस्कार है। तथा दूसरा शारीरिक क्रियाओं के द्वारा किया जाता है। सांसों पर ध्यान देने से क्रियाएं ठीक से होगी और मन भी एकाग्र होता है

सूर्य नमस्कार करते समय निम्नलिखित प्रार्थना के पश्चात प्रत्येक अवस्था (स्थिति) के साथ सूर्य के विभिन्न नाम का उच्चारण करके उन्हें मन ही मन प्रणाम करें

प्रार्थना

ध्येय: सदा सवितृम डल मध्यवर्ती |

नारायणः सरसिजासन सन्निविष्टः ||

केमरवान मकर कुडलवान किरीटी |

हारी हिर यमयव पुर्ध्वतशड्खचक्र: ||

इस तरह करें सूर्य नमस्कर – सूर्य नमस्कर की 12 स्थितियां

स्तिथि 1 – प्रणामासन (Pranamasana) – Prayer Pose

दोनों पैरों को एक साथ रखते हुए, सीधे खड़े हो जाए। एवं दोनों हथेलियां को छाती के सामने नमस्कार की मुद्रा में जोड़े, लंबी गहरी सांस बाहर छोड़ें, हथेलियों की इस मुद्रा तथा उसके छाती पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सजगता को बढ़ाएं

मंत्र उच्चारण – ओम मित्रे नमः

अर्थ – सबके साथ मैत्री भाव बनाए रखता है

प्रभावित चक्र – अनंत चक्र

स्तिथि 2 – हस्त उत्तानासन (Hastauttanasana) – Raised Arms Pose

हथेलियां को बाहर की ओर रखते हुए भुजाओं को सिर के ऊपर उठाएं। पीठ को धनुषाकार बनाते हुए, सिर तथा ऊपरी धड़ को आरामदायक स्थिति में पीछे की ओर झुकाए, इस स्थिति में आते हुए स्वास अंदर ले

मंत्र उच्चारण – ओम रविय नमः

अर्थ – जो प्रकाशमान और सदा उज्ज्वलित है

प्रभावित चक्र – विशुद्ध चक्र

स्तिथि 3 – हस्त पदासन (Hasta Padasana) – Hands to Feet Pose

सामने की ओर झुकते जाए, जब तक की उंगलियां या हथेलियां पैरों के पंजों के बगल में भूमि से स्पर्श न करने लगे। घुटने से नाक को स्पर्श न करने लगे। घुटने से नाक को स्पर्श करने का प्रयास करें। लेकिन पैरों को सीधा रखें, अधिक जोर ना लगाएं। इस स्थिति में आते हुए सांस बाहर छोड़ें

मंत्र उच्चारण – ओम सूर्याय नमः

अर्थ – अंधकार को मिटाने वाला वह जो जीवन को गतिशील बनाता है

प्रभावित चक्र – स्वाधिष्ठान चक्र

स्तिथि 4 – अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana) – Equestrian Pose

बाएं पैर को यथासंभव पीछे फैलाए, दाएं घुटने को मुड़े, पंजा अपने स्थान पर ही रहने दे। बाएं पैर की उंगलियां तथा घुटना भूमि से सटाकर रखें। श्रोंणी प्रदेश, छाती को आगे लाए। कमर को धनुषाकार बनाते हुए सिर को पीछे की ओर ले जाए

मंत्र उच्चारण – ओम भानवे नमः

अर्थ – जो सदैव प्रकाशमान है

प्रभावित चक्र – आज्ञा चक्र

स्तिथि 5 – दण्डासन (Dandasana) – Plank Pose

दाएं पैर को पिछे लाकर बाय पैर के बगल में रखें। नितंबों को ऊपर उठाएं और सिर को भुजाओं के बीच में ले आए। सिर अधिक से अधिक आगे की ओर झुकाए और घुटनों की ओर देखे। पैर तथा भुजाएं सीधी रखें। एड़ियों को भूमि से स्पर्श कराएं

मंत्र उच्चारण – ओम खगाय नमः

अर्थ – वह जो सर्वव्यापी है और आकाश में घूमता रहता है

प्रभावित चक्र – विशुद्धिचक्र

स्तिथि 6 – अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara) – Salutation with Eight Limbs

घुटनों को मोड़ते हुए शरीर को भूमि से सटाए। अंतिम स्थिति में दोनों पैरों की उंगलियां, दोनों घुटनों, सीना, दोनों हथेलियां तथा ठुड्डी भूमि को स्पर्श करने चाहिए। नितंब्बों व कमर को भूमि से थोड़ा ऊपर रखें। श्वास रोक कर रखें

मंत्र उच्चारण – ओम पूष्णे नमः

अर्थ – वह जो पोषण करता है और जीवन में पूर्ती लाता है

प्रभावित चक्र – मणिपुरचक्र

स्तिथि 7 – भुजंगासन (Bhujangasana) – Cobra Pose

जंघा को भूमि से सटाए तथा सीना आगे ऊपर की ओर लाएं। हाथों को सीधा करते हुए शरीर को कमर से ऊपर उठाए। तथा सिर पीछे की ओर ले जाए। इस स्थिति में मेरुदंड धनुषाकार बन जाएगा एवं सिर ऊपर की ओर रहेगा।

मंत्र उच्चारण – ओम हिरण्यगर्भाय नमः

अर्थ – जिसका स्वर्ण के भांति प्रतिभा रंग है

प्रभावित चक्र – स्वाधिष्ठान चक्र

स्तिथि 8 – अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana) – Downward Facing Dog Pose

यह स्थिति 5 की पुर्नवृत्ति है नितंबों को ऊपर उठाते हुए पर्वत आसन में आए। सिर दोनों भुजाओं के बीच में लाएं। घुटने सीधे रखें। अंतिम स्थिति में पैर तथा भुजाएं सीधी रखें। एड़ियों को भूमि से स्पर्श कराएं तथा स्वास बाहर छोड़ें

मंत्र उच्चारण – ओम मरीचये नमः

अर्थ – वह जो अनेक करने द्वारा प्रकाश देता है

प्रभावित चक्र – विशुद्धि चक्र

स्तिथि 9 – अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana) – Equestrian Pose

यह स्थिति 4 की पुनर्विवृत्ति है। दायां पैर आगे ले आए तथा पंजे को दोनों हाथों के बीच में रखें। बाया घुटना जमीन से सटा दे। सिर को आसमान की ओर कर ऊपर देखें इस स्थिति में आते समय स्वास अंदर ले

मंत्र उच्चारण – ओम आदि व्याय नमः

अर्थ – अदिति (जो पूरे ब्रह्मांड की माता है) का पुत्र

प्रभावित चक्र – आज्ञाचक्र

स्तिथि 10 – हस्त पदासन (Hasta Padasana ) – Hands to Feet Pose

यह स्थिति 3 की पुर्नवृत्ति है बाएं पैर को दाएं पैर के बगल में ले जाएं। पैरों को सीधा रखते हुए आगे की ओर झुके, सिर को घुटनों के पास लाने का प्रयत्न करें। इस स्थिति में आते समय स्वास बाहर छोड़ें

मंत्र उच्चारण – ओम सवित्रे नमः

अर्थ – जो इस धरती पर जीवन के लिए जिम्मेदार है

प्रभावित चक्र – स्वादिष्ठान चक्र

स्तिथि 11 – हस्त उत्तानासन (Hastauttanasana) – Raised Arms Pose

यह स्थिति 2 की पुर्नवृत्ति है हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर पीछे की ओर मुड़ते हुए, हस्त उत्तानासन की स्थिति में आए, इस स्थिति में स्वास अंदर ले

मंत्र उच्चारण – ओम अर्काय नमः

अर्थ – जो प्रशंसा वह महिमा के योग्य है

प्रभावित चक्र – विशुद्वि चक्र

स्तिथि 12 – प्रणामासन (Pranamasana) – Prayer Pose

यह स्थिति 1 की पुर्नवृत्ति है, नमस्कार की मुद्रा में हाथों को सीने के सामने मिलकर सीधे खड़े हो जाए, पूरे शरीर को शिथिल करें। इस स्थिति में लौटते समय सांस बाहर छोड़ें

मंत्र उच्चारण – ओम भास्कराय नमः

अर्थ – जो ज्ञान व ब्रह्मांड के प्रकाश को प्रदान करने वाला है

प्रभावित चक्र – अनंत चक्र

सूर्य नमस्कार करते समय ध्यान देने योग्य बातें

इसे सुबह सूरज निकलने से पहले या सूरज की पहली किरणों के साथ करें।
✔ शुरुआत में 3-5 बार सूर्य नमस्कार करें और धीरे-धीरे 12 बार तक बढ़ाएं।
✔ इसे खाली पेट करें या हल्का भोजन करने के 3 घंटे बाद करें।
✔ सांसों पर विशेष ध्यान दें और हर मुद्रा के साथ सही श्वास प्रक्रिया अपनाएं।

सूर्य नमस्कार कि उपरोक्त 12 स्थितियां हमारे शरीर के संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती है। यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है। इसके अभ्यासी के हाथों पैरों के दर्द दूर होकर उन्हें सबलता आ जाती है। गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती है शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है।

सूर्य नमस्कार करने के लाभ

शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है

यह शरीर के हर अंग पर प्रभाव डालता है और हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूत करता है।

वजन घटाने में सहायक

यह कैलोरी बर्न करने में मदद करता है और पेट की चर्बी कम करने के लिए अत्यंत प्रभावी होता है।

मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ाता है

सूर्य नमस्कार ध्यान और प्राणायाम का भी हिस्सा है, जिससे मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।

पाचन तंत्र को सुधारता है

यह पेट और आंतों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है, जिससे पाचन शक्ति बेहतर होती है।

हार्मोन संतुलन बनाए रखता है

यह थायरॉइड और अन्य हार्मोनल ग्रंथियों को सक्रिय करता है, जिससे शरीर में हार्मोन संतुलित रहते हैं।

रक्त संचार को बढ़ाता है

यह शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है और रक्त संचार को सुचारू रखता है।

तनाव और चिंता को कम करता है

नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से तनाव हार्मोन (Cortisol) का स्तर घटता है और मन शांत रहता है।

सूर्य नमस्कार के द्वारा त्वचा रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा उनकी होने की संभावना समाप्त हो जाती है इस अभ्यास से कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं। और पाचन तंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है। इस अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर की छोटी बड़ी सभी नस नाड़ियां क्रियाशील हो जाती हैं

Dhyanlok के कुछ शब्द

सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक पूर्ण योग अभ्यास है। यह शरीर, मन और आत्मा को जोड़ता है और हमें स्वस्थ और ऊर्जावान बनाता है। इसे सही तरीके से करने से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं।

Namaskar dosto! I'm the writer of this blog, I've fine knowledge on Yoga and Meditation, I like to spread positivity through my words.

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