ऐसा कहा जाता है ॐ नादवाणी (ध्वनि) पूरे जगत के सभी सजीव और निर्जीव प्राणियों सभी में ओंकार (ॐ) नाद उत्पन्न हो रहा है इसलिए ओंकार को अतुल्य माना गया है। यहां ॐ की उत्पत्ति “अ उ म” अर्थात त्रिमूर्ति शक्ति से हुई है। जिसमें अ जीवन का कारक है, ऊ विकास का, तथा म् विनाश (शून्य) का कारक माना जाता है।
हिंदुधर्मो में सबसे पहला मंत्र ॐ को माना जाता हैं ॐ को त्रिदेवों से भी जोड़ा जाता है अ ब्रह्म, उ विष्णु तथा म रुद्र रूप है। ॐ अर्थात प्रवणनाद इसे सभी मंत्रो का उद्गम भी कहते हैं हिंदू गाथाओं के अनुसार जब समूचे विश्व में कुछ भी नहीं था तो केवल एक ही ध्वनि उत्सर्जित होती थी वह था ओम (ॐ)
स्वयं परमात्मा से निकलने वाले इस नादवाणी जो समूचे ब्राम्हण में विधमान हैं इसका उपयोग मात्र साधना (योग अभ्यास) व आन्तरिक शुद्धि तक सीमित नहीं, सामान्य व्यक्ति भी दैनिक जीवन में इसका उपयोग कर लाभान्वित हों सकते हैं
मंत्र एक संस्कृत शब्द है जो मन और त्रा शब्द से मिलकर बना है। मंत्र एक अक्षर, शब्द या वाक्य हों सकता है जिसे मेडिटेशन या ध्यानाभ्यास के वक्त दोहराया जाता हैं आइए जानते है एक मंत्र उच्चारण के पीछे क्या रहस्य छुपा होता है…
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मंत्रा मेडिटेशन क्या है ओ३म (ॐ) का महत्व | Om meditation in hindi
मंत्रा मेडिटेशन जिसे संस्कृत में “नाद” या “नादवाणी” कहते हैं मंत्र उच्चारण का मुख्य उद्देश्य मन को एकाग्र, स्थिर और सजग बनाना होता है इसे उन विचारों के कैद से दूर ले जाना जों हमारी एकाग्रता में विघ्न उत्पन्न करते हैं।
मंत्र उच्चारण करने से मात्र एकाग्रता विकसित नहीं होती हैं बल्कि यह सुनने में जितना कठीन लगता हैं उतना हैं नहीं, यह तो हमारे अन्तर मन की आवाज़ होती हैं मंत्र उच्चारण का मुख्य उद्देश्य स्वयं को उन बाधाओं से मुक्त करना होता है जो हमें पूर्ण सजगता प्राप्त करने से रोक रहे होते है।
मंत्र अथवा किसी ध्वनि पर ध्यान केंद्रित कर हम अपनी चेतना को उन बाधाओं से दूर हटना सिखा रहें होते हैं जों हमारे राह में बाधा उत्पन कर रहे होते हैं।
नाद योग की शुरूआत – Nad yoga ki shuruaat
क्या आप कभी शांत चित्त होकर अपने अन्तर मन से आने वाली आवाज को सुनने का प्रयत्न किया है? नादयोग की पहली शुरूआत ही होती हैं अपने अन्तर की आवाज़ को सुनना
इसलिए कुछ समय रुके, आंखें बंद कर, अपने अन्तर मन की आवाज़ को सुने, यहीं नाद योग की पहली शुरूआत है:
नाद योग क्या है? – Nad yoga kya hai
कुछ देर के लिए मान लिजिए, एक अनजान रास्ते से घर लौटते वक्त आप भटक जाते हैं और कहीं गुम हो जाते हैं…!
शाम का समय था, सुमसान सड़क, कुछ ही देर में चारों तरफ़ घना कोहरा छाने लगता, रात्रि होने को हैं अंधेरा भी छाने लगा है आप खुद को उस सुनसान सड़क पर अकेले चलते हुए पाते हैं जहां अंधेर की वजह से आप केवल कुछ फीट ही आगे देख पा रहे होते हैं आपको जल्द से जल्द घर पहुंचना है लेकिन रास्ता नहीं मालूम
रात्रि में इस तरह भटक जाने का डर धीरे-धीरे आपके दिलों जहन में आने लगा है। आप अपने घर की याद आ रही हैं अपने परिवार, प्रियजनों को याद कर रहे हैं जो घर पर आपके आने का इंतजार कर रहे होंगे
जैसे-जैसे आप अपने प्रियजनों को याद करते हैं उनके प्यार को अपने अंदर महसूस करते हैं आपका डर जैसे खत्म होने लगा हैं। लेकिन अचानक…! कुछ दूरी पर आप एक आवाज सुनते हैं जो पहचानने योग्य तो नहीं लेकिन जानी पहचानी है
आप उस दिशा में आगे बढ़ते हैं कुछ देर बाद आवाज भी बंद हो जाती है। आखिर वह आवाज कहां से आ रही थी, आप लगातार उसी दिशा में आगे बढ़ने लगते हैं
बढ़ते – बढ़ते दूर कहीं आपको एक उजाला दिखने लगता है ध्यान से देखने पर आपको लाइट की चमक दिखती है
जैसे ही आप थोड़ा और करीब पहुंचते हैं आप उस आवाज को पहचान जाते हैं जैसे वह आपके किसी प्रियजन की हो, जो आपका नाम लेकर पुकार रहे हो। उस दिशा में और आगे बढ़ने पर आप महसूस करते हैं आप अपने कमरे की खिड़की के अंदर देख पा रहे होते हैं
आपने अपने घर का रास्ता ढूंढ लिया हैं। रोज हम सभी इसी प्रकार अपनी व्याकुलता और बाधाओं के अंधकार में उस आवाज की खोज करते हैं जो हमें सही रास्ता दिखा सके, हमें अपनी मंजिल तक पहुंचा सकें…
कोई रोशनी, जो हमने इशारा दे, हमें कौन सा रास्ता चुनना चाहिए!
नाद योग में वह आवाज आपके अंतर्मन की आवाज होती है वह चमकती हुई रोशनी आपके अंतरात्मा से निकलने वाला प्रकाश होता है।
नाद योग सुनने वाला योग है यह एक तरीका है जिससे व्यक्ति अपने अंदर झांक पाता है और अंत में सभी व्याकुलताओं और बाधाओं से खुद को मुक्त कर पाता है।
योगा क्या है – yoga kya hai?
पश्चिम में जब योग की बात की जाती हैं अक्सर इसे “हठयोग” से जोड़ा जाता हैं जिसमें क्रमानुसार शारीरिक आसनों का अभ्यास किया जाता है।
हालांकि, इसके अलावा भी अन्य योग के प्रकार हैं जो बिल्कुल भी शारीरिक नहीं है जैसे –
- कर्म योग
- भक्ति योग
- ज्ञान योग
- राजयोग
योग का अर्थ होता है जुड़ना, मिलना या सम्मिलित होना, योग एक संस्कृत शब्द है
नादयोग के अभ्यास हम खुद को इस भ्रम से बाहर आने लगते हैं कि हम सब अलग हैं उस अन्तर आत्मा के प्रकाश से, उस आवाज के कंपन से
ध्वनि के चार स्तर – Four level of sound
ध्वनि के चार स्तरों की व्याख्या प्राचीन भारत के वैदिक काल के दार्शनिकों और मृदुभाषीयों से मिलती है इसका वर्णन वेदों में भी मिलता हैं – (कुंडलिनी उपनिषद)
- जब एक व्यक्ति कुछ बोलने वाला होता है उसकी शुरुआत “प्रा” ध्वनि से होती हैं यह पूर्णतः शुद्ध रूप होता है जहां ना कोई शब्द होता और ना उसका कोई आकार – प्रकार
- “पश्यंती” ध्वनि के इस स्तर में व्यक्ति अपना अभिप्राय, इरादा व्यक्त कर चुका होता है
- “मध्यमा” ध्वनि और विचारों के मध्य
- “विकाहारी” इस स्तर में व्यक्ति अपने विचारों और शब्दो को बाहरी दुनिया में व्यक्त कर रहा होता है।
लेकिन “नादयोग” में यह प्रक्रिया बाहर से अंदर की ओर होती है। जब हम उच्च स्तर पर पहुंच जाते हैं तब हम आसानी से बाहरी दुनिया और विचारों से जुड़ पाते हैं।
विकाहारी – Vikahari
यह बाह्य दुनिया में ध्वनी का पहला स्तर होता है जिसे हम कानों से सुन सकते हैं। इसमें हजारों आवाजें जो हम अपने रोजमर्रा के जीवन में सुनते हैं भले हमारा ध्यान उन पर केंद्रित ना हो
मध्यमा – Madhyama
ये ध्वनि का दूसरा स्तर है जिससे हम सोच या विचार करते हैं हमारा मस्तिष्क अनेकों ध्वनियों को अपने अंदर एकत्रित किए हुए हैं जैसे – गीत, संगीत
पश्यंति – Pashyanti
यह ध्वनि का तीसरा स्तर है ध्वनि का चित्रण रुप, जहां ध्वनि और विचार चित्रों का मिलन होता है उदाहरण – जब आप किसी किताब या नॉवेल को पढ़ रहे होते हैं तब शब्दों को आप संभावित चित्रों में कल्पना कर पाते हैं या रेडियो सुनते हुए उस दृश्य की कल्पना कर पाते हैं
परा – Para
यह ध्वनि का चौथा स्तर है इसे आप अनेक रूपों में समझ सकते हैं जैसे – शब्दों के परे, ध्वनि के परे, इंद्रियों के परे, कल्पनाओं के परे
“परा” हमारे आंतरिक विचारों से जुड़ाव के पहले की अवस्था है
मानवीय दृष्टिकोण में ॐ का महत्त्व:
ओ३म की ध्वनी चिकित्सा रूप में भी कार्य करती है इस ध्वनी से निकलने वाली ऊर्जा सच में प्राण ऊर्जा प्रवाह करने वाली होती हैं।
किंतु जन सामान्य केवल इसकी बाहरी नैसर्गिक रूप को जानते हैं। शायद उन्हें यह ज्ञात नहीं बाहरी बदलाव जिसमे भौतिक विचारधाराओं का मिलन होते रहता, इसमें आन्तरिक बदलाव नहीं कर सकता।
ॐ अर्थात प्रवण ( नादवाणी ) वर्तमान में अनेकों बदलावो से गुजरा हैं जिसने लोगो को भी एक नया दृषटिकोण दिया, परंतु जैस जैसे मनुष्य भौतिकता रूपी दृष्टिकोण को अपनाने लगा है वह अपने अंतरिक दृष्टिकोण को क्षति पहुंचाने लगा है।
अर्थात यदि हम ॐ नाद वाणी को इसके मूल स्वरूप में अपनाए तो ही हम इसका पूर्णतः लाभ उठा सकेंगे।
ओम (ॐ) मेडिटेशन के लाभ हिंदी में – Benefits of om meditation
मंत्रों का प्रयोग चमत्कारिक लाभ पहुंचाता है खासकर यदि आपको मन नियंत्रित रखने में परेशानी होती हो, तो मंत्र उच्चारण आपके लिए अच्छा उपाय साबित होगा, हालांकि, ध्यान तो आप अनेकों तरीकों से कर सकते हैं मगर एक विधि सबके लिए समान कारगर नहीं होती, आइए जानते है मेडिटेशन (मंत्रा मेडिटेशन) से कौन कौन से लाभ होते हैं –
फोकस बढ़ता – increase Focus
मेडिटेशन सभी के लिए आसान नहीं, वहीं कुछ लोगों को ध्यान में मन शांत और केंद्रीत रख पाने में कठिनाई होती हैं मंत्र का उपयोग करना एकाग्रता पाने में भरपूर सहायता करता हैं
जब किसी मंत्र का उच्चारण आप बार-बार अपने मन में करते हैं तब वहीं आपके सजगता का केंद्र बन जाता है। जिससे मन अन्य चीजों में भटकने से बच जाता हैं
आध्यात्मिकता की चढ़ाव
बहुत से ध्यानाभ्यासी ये मानते हैं मंत्र उच्चारण से उत्पन्न ऊर्जा, कंपन गहरे ध्यान में पहुंचने में मदद करता है गहराई से ध्यान करना शरीर में उर्जा प्रवाह की अड़चनों को दूर करता हैं
आप उस मंत्र का चुनाव करें जो आपको आत्मशांति प्रदान करें
दिमागी विकास
वैज्ञानिक शोधों से पता चलता हैं मेडिटेशन दिमागी स्वास्थ्य को बेहतर बनाता हैं मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है कार्यक्षमता में बढ़ोतरी करता है
कुछ बदला जो आप देखेंगे –
- बेहतर मानसिक स्वास्थ्य
- तनाव रहित
- कम थकान
शोध के अनुसार मंत्रों का उच्चारण करना दाएं और बाएं मस्तिष्क में बेहतर संचालन को प्रेरित करता हैं
सांसो पर नियंत्रण
ध्यानाभ्यास में मंत्रों का उच्चारण स्वंसो में प्राकृतिक लय लाता है। हालांकि, इस ध्यानिक लय से आदि होने में समय लग सकता है लेकिन मंत्रों का स्वांसो के लय के साथ जुड़ना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है
कुछ अन्य लाभ जो आप महसूस करेंगें –
- सजगता बढ़ती
- तनाव कम होता
- मानसिक शांति मिलती
- आत्मप्रेम बढ़ता
- सकारात्मकता बढ़ती
कैसे मंत्रा (ॐ) मेडिटेशन का अभ्यास करें – How to practice Om meditation
जब आप अपने लिए मंत्र का चुनाव कर ले तब आपको उसका उपयोग करना शुरू कर देना चाहिए, आइए जानते हैं कैसे आप मंत्र के साथ ध्यनाभ्यास कर सकते हैं –
- आरामदायक आसन चुने : एक शांत और स्वच्छ स्थान का चुनाव करें जहां आप बिना विघ्न उत्पन्न हुए ध्यानाभ्यास कर सकें, आरामदायक आसन चुन कर बैठे, इसे आप जमीन में, कुर्सी पर, लेट कर अथवा चलते हुए भी कर सकते हैं हस्त मुद्राओं का उपयोग कुछ लोगो को गहरे ध्यान में जाने में मदद करता है
- समय निश्चित करें : एक निश्चित समय तय करें, कितनी देर आप मेडिटेशन करने वाले हैं चाहें तो 5 मिनट से शुरुआत कर सुविधा अनुसार समय सीमा बढ़ा सकते हैं।
- लंबी गहरी स्वंसो से शुरुआत करें : ध्यनाभ्यास की शुरुआत स्वंसो पर केंद्रित होकर करना सबसे उचित माना जाता है देखे कैसे फेफड़ों में हवा भर तथा खाली हो रही है।
- मंत्र उच्चारण शुरु करें : लंबी व गहरी स्वंसो के साथ मंत्र का उच्चारण शुरू करें, मंत्र को आप ऊंचे स्वर में दोहरा सकते हैं या केवल अपने मन में इसका उच्चारण करें
- स्वंसो से मार्गदर्शन ले : जब ध्यनाभ्यास के बीच में मन अस्थिर होने लगें, आपको स्वंसो के लय से मार्गदर्शन लेना चाहिए
- मन भटकने पर दिशा बदले : ध्यान में यदि आप महसूस करें जैसे मन के विचार आपका ध्यान भटका रहे हैं बलपूर्वक आपको उनसे दूर भागने की चेष्टा नहीं करनी, बस उनके प्रति सजग बने रहे और अपने मंत्र उच्चारण पर केंद्रित रहे
- ध्यनाभ्यास की समाप्ति : जब आपका निर्धारित समय समाप्त हो जाए, तुरंत भागने का प्रयास न करें बल्कि कुछ समय दे अपने मन और शरीर को सामान्य अवस्था में आने के लिए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आए
Dhyanlok के कुछ शब्द
Om meditation in hindi : ओ३म का महत्व सिर्फ हमारे बाहरी जीवन के लिए उपयोगी नहीं बल्कि आन्तरिक जीवन में भी इसका सामान्य महत्व होता है