डर को कैसे दूर करें उपाय, मन से डर कैसे निकाले

जब हमें डर लगता हैं वास्तव में उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता हैं मन के डर को कैसे दूर भगाएं? यदि आप हमेशा सोचते हैं तो सबसे पहला कदम सक्रत्मकता हैं

ज्यादा डर लगने से होता यह हैं मन में ऐसे विचार और घटनाएं आने लगती हैं, मन ऐसी घटनाओं की कलपना करने लगता हैं जो वास्तव में घटित ही नहीं हुईं होती हैं। यहीं डर लगने का मूल और असली कारण होता हैं अर्थात् डर लगने से आप और डरते हैं।

अपने अंदर के डर को कैसे दूर भगाएं? हम जिन चीजों में विश्वास रखते हैं। हमारे मानसिक अवधारणाएं, सोच विचार जिस तरह के होते हैं वहीं हमारी आदतों और कर्मो का निर्माण करते हैं, यानी अगर हम ये सोचे हमें इस चीज से डर लगता हैं तो संभवतः जरुर उससे आप भयभीत रहेंगे।

वहीं यदि ये विश्वास रखें, आप उन चीजों या परिणामों में विश्वास नहीं रखते जो आपने देखी न हों या घटित नहीं हुईं हैं, ऐसी स्थिति मन से डर को पूर्णतः निकाल देता हैं।

आप सकारात्मक दृष्टिकोण से अलग अलग चिंताओं और डर को दूर कर सकते हैं।

डर को कैसे दूर करें | how to remove fear in hindi

  • थोड़ा समय ले, क्योंकी जब आप भय और चिंताओं के विचार में फंसे होते हैं तो सोचने – विचारने की शक्ति चली जाती हैं।
  • लम्बी गहरी स्वांस भरे 
  • अपने डर से आंख से आंख मिलाए
  • प्रमाणों और तथ्यों को देखे
  • परफेक्ट बनने की कोशिश न करें
  • एक सुरक्षित और खुशहाल वातावरण में रहें
  • अपने डर के विषय में दूसरों से सांझा करें

डर हमारे अंदर मौजूद एक अवरोधक गुण (कारक) है जो हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचने या वह करने से रोकता हैं जो हम करना चाहते हैं। डर (भय) हमें मार्ग से भटकाने और बहाने बनाने के लिए मजबूर करता है। यह सीखना की डर को कैसे दूर करें, स्वयं को मानसिक रूप से स्वतंत्र करने का अहम कदम है

दिखावा करना की आपको डर नहीं है बहुत सरल हैं मगर यहां मन बहाने बनाने लगता हैं बजाए मुड़कर डर का सामना करने के आप इससे पीछा छुड़ाने के विषय में सोचने लगते हैं। डर को आगे बढ़ने के कारक की तरह पहचाने ना कि बहाने बनाने के लिए

कुछ अनिश्चित होने का डर, फेलियर का डर, सभी तरह के डर एक ही जगह से आते हैं – “हमारे लिमिटिग बिलिफ” जों हमें डर के आगे सोचने से रोकता हैं।

डर दूर करने के तरीके उपाय | डर को कैसे दूर भगाएं

जब हमें डर लगता है वास्तव में उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है एक आम रूप में डर (भय) लगना स्वाभाविक है जिसे बच्चे, बूढ़े, नवजवान यहां तक अन्य जीव-जंतुओं में भी डर की प्रतिक्रियाए देखने को मिलती है

डर एक ऐसी चीज है जिसे जितना पाले, पनाह देंगे, हमें उतना ही अपने चुंगल में समेटने लगता हैं। वक्त रहते यदि इस डर का इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति धीरे-धीरे लेकिन बहुत छोटी छोटी बातों से भी घबरा कर चिंतित परेशान रहने लगता है, जैसे किसी बहुत बड़ी समस्या ने उसे घेर लिया है।

डर के भी अनेक रूप हैं किसी को अंधेरे से डर लगता है तो कोई मरने के डर से कांप उठता हैं किसी को बीमार पड़ने का डर है तो बहुत लोग भविष्य में कहीं उनके साथ कोई आपत्ति या दुर्घटना ना हो जाए यह सोचकर मन ही मन डर रहे होते हैं

डरना कोई बीमारी, अभिशाप या मानसिक रोग नहीं हैं, यकीनन जिस तरह आज लोग डर के विषय में अपनी अवधारणाएं बनाए हैं यदि कोई व्यक्ति बहुत जल्दी डर जाता है तो उसे कमजोर निर्बल जैसी भावनाओं से देखा जाता है मगर वास्तव में डर लगना हमारे लिए फायदेमंद और जरूरी होता है

यदि अपने अंदर के डर को खत्म करना चाहते हैं तो पहले डर के मूल कारण को जानना होगा, डर क्या है? क्यों हम डरते है? लोगों में किस तरह के डर होते है

अपने अंदर के डर को कैसे दूर भगाएं | डर को कैसे दूर करे

यदि कोई जानता है कि उसे किस बात से सबसे अधिक (भय) यानी डर लगता है तो उसके लिए डर को खत्म करना बहुत सारल हो जाता है। दरअसल डर एक प्रतिक्रिया है जो हमारी मनोदशा के रूप में सामने आता है जिसे हम तब महसूस करते हैं जब हमारी मनोदशा में किसी खतरे का अंदेशा होने लगता है

यह किसी विचार, आगामी या बीते जीवन की बातों को याद करने, परिस्थिति के ठीक ना होने, जीवन में चल रहे भारी उथल-पुथल के कारण भी आता है। वास्तव में डर व्यक्ति के कल्पना करने की शक्ति से उत्पन्न होता है। इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है अगर किसी व्यक्ति में मस्तिष्क का वह हिस्सा “हाइपोथैलेमस” कार्य नहीं कर रहा है जिससे हम सोच विचार करते हैं ऐसा व्यक्ति भय मुक्त बन जाता है

उदाहरण के लिए सामने से तेज कार को आते देख मस्तिष्क कल्पना कर लेता है कि वह कार से टकराने वाला है। हालांकि, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं होता है इसके चलते आप जल्द ही खुद को रास्ते से हटा देते हैं या गाड़ी का ब्रेक लगा देते हैं

कुछ अनिश्चित होने की कल्पना (यानी जो हुआ ही नहीं या जो पहले हो चुका है) उसे दोबारा होते देखना यह बिल्कुल ऐसा प्रतीत होगा है जैसे – आपका शरीर और दिमाग आपसे बात कर रहे हैं। इससे पहले कि आप डर को खत्म करने के बारे में सोचें, सबसे पहले आपको समझना होगा डर एक सामान्य प्रतिक्रिया हैं जब आप इसके संकेतों को समझने लगते हैं तो डर को दूर करना सांस लेने और छोड़ने जैसा समान्य लगने लगेगा। चाहे डर कितना भयानक क्यों ना!

डर को कैसे दूर करें उपाय बताएं | dar ko kaise dur kare

मानवीय अनुभवों में यदि हम डर के संकेतों को ढूंढने जाएं तो यह शारिरिक संकेतों से भी गहन दिखलाई पड़ता है क्योंकि यहां डर के कुछ ऐसे भी प्रकार हैं जो बहुत घातक है –

फिजिकल फियर

अक्सर जब कोई डर के विषय में सोच – विचार करता है, अधिकांशत वे शारीरिक खतरे के विषय में सबसे ज्यादा सोचते हैं जैसे – झगड़े के बीच में चोट लगने का डर, गहरी खाई से नीचे गिर जाने का डर, कभी-कभी डर फोबिया में भी बदल जाता है। फोबिया एक खास तरह का डर है जो हमें किसी निश्चित परिस्थिति, वस्तु या जानवर जैसे – मकड़ी, कॉकरोच, स्टेज पर आकर बोलने से लगता है

फिजिकल फियर इस दौरान दिल की धड़कन अचानक से बढ़ जाती है, जल्दी-जल्दी सांस लेने लगते हैं, पेट में खलबली सी मच ने लगती है, पसीना आने लगता है, मुंह सूखने लगता, शरीर की कोशिकाओं में तनाव आने लगता है। हालांकि, बिना डर के आप खुद को खतरों के लिए खुला छोड़ देते हैं इसलिए डर लगना भी जरूरी है।

एंजायटी

इसे आप लंबी अवधि तक चलने वाले डर की तरह देखेंगे, जो अधिकतर वर्तमान से हटकर भविष्य की ओर ज्यादा निर्मित होता है। आज के दौर में एंजायटी डिसऑर्डर समान्य हो गया है। एंजायटी और स्ट्रेस के परिणाम लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। इसमें शरीर एक तरह का केमिकल स्त्राव कराता है जिसे “कॉर्टिसोल” कहते हैं। जब शरीर में कॉर्टिसोल लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो सोने में, फोकस करने में दिक्कत आने लगती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर डाल रहा होता है।

हममें से बहुतों के लिए नए करियर की शुरुआत करना, नए रिलेशनशिप या कड़ी मेहनत से कमाए पैसे खर्च करने में कुछ मात्रा में एंजायटी होती है। जहां हमें सोने में दिक्कतें आने लगती है, मन एकाग्र चित्त नहीं हो पाता है, बार-बार एक ही चीज हमारे मस्तिष्क में घूम रहा होता है इन सभी के होने का एक ही कारण है – “हमारे विचार”

कुछ अनिश्चित होने का डर

सभी इंसानों में उनके विचार, निर्णय और आदतें छ: मानवीय जरूरतों से प्रभावित रहतीं है। हममें से बहुतों के लिए निश्चित चीजों का होना एक जरूरत है। जब कभी हमारे साथ ऐसा कुछ होने लग जाता है जिसके विषय में हमने कभी सोचा नहीं तो हमें डर लगने लगता है, कुछ अनिश्चित होने का डर ही हमें हमारे कंफर्ट जोन से बाहर निकलने नहीं देता। जिससे हम कभी अपने डर के आगे देख ही नहीं पाते और एक ही जगह फंसे रहते हैं।

हालांकि, जीवन में निश्चित चीजों का होना भी जरूरी है उसी तरह अनिश्चित चीजों की आवश्यकता है यहां कुछ ऐसे डर हैं जो अधिकांशतः हमारे मस्तिष्क को घेरे रहते हैं जैसे –

  • फेल होने का डर
  • भीड़ के सामने खड़े होने का डर
  • ऊंचाई का डर
  • पानी में डूबने का डर
  • भूत या आत्माओं का डर
  • मौत का डर
  • किसी अपने को खोने का डर
  • बीमारी का डर
  • सपने का डर
  • अंधेरे का डर

किसी भी डर को इन 5 तरीकों से खत्म करें | डर को कैसे खत्म करें

अपने डर को जीतने से पहले उसे जाने, इससे आप डर को अपने फायदे के लिए उपयोग करना सिखने लगते हैं। डर को जीतने के लिए उसकी बारीकियों को समझना होगा

डर के प्रतिक्रियाओं को पहचाने

डर को खत्म करना बिल्कुल किसी प्रॉब्लम का हल निकालने के जैसा है, जहां पहले गलतियों को ढूंढना होता हैं तभी आप समस्या को हल कर पाने में सक्षम हो पाते है।

डर लगने पर हम जो प्रतिक्रिया देते या डर लगने से पहले ही जब हमें पता चल जाए कि, हां, अब मैं डरने वाला हूं, तो हम असानी से अपने डर का उपयोग अपने फायदे के लिए कर सकते हैं।

अपने डर को पहचाने

केवल डर की प्रतिक्रियाओं को हि नहीं बल्कि आपको किन किन चीजों, लोगो या परिस्थितियों से डर लगता है इसकी सूची पहले बना ले। फिर जब कभी आप इस तरह की परिस्थिति का सामना करने में फंस जाएं तो खुद को याद दिलाए आपको इससे डर लगता है और खुद को शांत बनाए रखने का प्रयत्न करें।

अपने डर को एक अवसर की तरह देखे ना की किसी खतरे के समान, जब आप अपने डर (एंजायटी) को अपने फायदे के लिए उपयोग करने लगते हैं तो यह कभी भी आपको हानि नहीं पहुंचा पाता है।

मन को बहाने ना बनाने दे

जब हम किसी विपरीत परिस्थिति में फंस होते हैं या डर लगने वाली स्थिति होती है तो मन तरह-तरह के बहाने बनाने लगता हैं – मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है? मेरे पास ये नहीं है, वो नहीं हैं, मैं तो अकेला हूं! इस तरह के विचार मन में पनप रहे होते हैं जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता, यह सब हमारे अपने मन का खेल है जिसके चुंगल में हममें से अधिकतर लोग फंस जाते हैं

अगर आप जानना चाहते हैं अपने डर को कैसे दूर करना है तो आपको अलग रास्ता चुनना होगा, खुद को याद दिलाए आपका मन कैसे बहाने बना रहा है, चीजों को टालने के बजाय उनका सामना करें

अपने डर का सामना करें

यकीन मानिए जिन चीजों को लेकर हम इतने दिनों से डर रहे होते हैं उनमें 90% काल्पनिक होता है। यानी डर भविष्य की कल्पनाओं और हमारे विचारों का मेल होता है इसलिए जब कभी आपको डर लगे तो एक प्रश्न खुद से जरूर पूछें – मैं जिस विचार से डर रहा हूं क्या वह मेरे साथ हो चुका हैं? यकीनन इसका जवाब हमेशा नहीं होगा, जब इसका उत्तर नहीं है यानी आपके साथ ऐसा कुछ हुआ ही नहीं तो फिर डरने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता

यहां एक बात समझने लायक है कि डर का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है मगर खतरा, खतरे का होना वास्तविक है। उदाहरण के लिए यदि आप जंगल में फस जाते हैं वहां जंगली जानवर आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं यह बिल्कुल सत्य है लेकिन किसी जानवर ने अभी तक आपको नुकसान नहीं पहुंचाया यह भी सच्च हैं इसलिए अपने डर और खतरे में फर्क करना जरूर सीखें

हमेशा पॉजिटिव सोच रखें

खुद से प्रश्न पूछना शुरु करें, एक सही सवाल पूछने मात्र से आप बड़ी से बड़ी चिंता, परेशानी की जड़ तक पहुंच जाते हैं। खुद से पूछे आप सकारात्मक (positive) क्यों नहीं रह पाते हैं? क्यों आप नेगेटिव विचारों के चुंगल से निकल नहीं पाते, आखिर क्यों बुरे विचार मन से दूर नहीं होते है

जब आप विचारों को खुद से जोड़ना छोड़ देते हैं तब आप यह जान जाएंगे किसी भी विचार में आपको विचलित कर देने लायक भी शक्ति नहीं होती है। यहां नेगेटिव विचारों को अवसर की तरह देखे, जब भी निगेटिव विचार आए तो तुरंत सकारात्मक विचार से उन्हें बदलते रहें और इसकी आदत बना ले, आप देखेंगे बुरे और नेगेटिव विचार धीरे-धीरे कम होने लगे हैं

Dhyanlok के कुछ शब्द

ज्यादा डर लगने से होता यह हैं मन में ऐसे विचार और घटनाएं आने लगती हैं, मन ऐसी घटनाओं की कलपना करने लगता हैं जो वास्तव में घटित ही नहीं हुईं होती हैं। यहीं डर लगने का मूल और असली कारण होता हैं अर्थात् डर लगने से आप और डरते हैं।

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