नाड़ी शोधन वह प्रक्रिया है जहां शरीर में आयी, ऊर्जा संचारण की अड़चनों को दूर किया जाता है। तथा इस कार्य के लिए सबसे उपयोगी, अनुलोम विलोम प्राणायाम को माना जाता है….
अनुलोम विलोम, जिसमें रेचक, पूरक, कुंभक विशेष अनुपात में अभ्यास कर शरीर के संपूर्ण नस नाड़ीयों की शुद्धि की जाती है।
इसका अभ्यास भटकते मन को भूत और भविष्य से निकालकर वर्तमान में स्थित करता है।
केवल दाएं अथवा बाएं नाक से स्वांस लेना तथा बाए अथवा दाए से स्वांस बाहर करना, शरीर में संतुलन लाता है। यहां स्वांस इडा नाड़ी से पूरे शरीर में बहती तो पिंगला से दूषित वायु बाहर को जाती है।
आइए जाने, अनुलोम विलोम अभ्यास से क्या क्या चमत्कार देखने को मिलते है ? Anulom vilom के लाभ तथा इससे क्या नुकसान हो सकते है ? अनुलोम विलोम अभ्यास विधि क्या है
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अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है what is Anulom vilom in Hindi
अनुलोम शब्द का अर्थ होता है ” ऊपर से नीचे की ओर आने वाला ” तथा विलोम का मतलब ” उल्टा “, प्राणायाम अर्थात स्वांस लेने की प्रक्रिया –
प्राण वायु का शरीर में संचारण करना एवं दूषित वायु का शरीर से बाहर निकलना, अनुलोम विलोम प्रक्रिया कहलाती हैं।
अनुलोम विलोम प्राणायाम का महत्व
अनुलोम विलोम के चमत्कार, प्रभावशीलता तथा इससे होने वाले उन्नति, मनुष्य में शारीरिक, मानसिक और आत्मिक बदलाव लेकर आता है किंतु बीते कुछ समय में लोगों में इसकी महत्वकांक्षा में परिवर्तन देखने को मिला हैं।
नाड़ी शोधन अर्थात – शरीर में स्थित सूक्ष्म चैनल जो विभिन्न कारणों से बंद हो सकते हैं इस प्राणायाम का अभ्यास उन्हें साफ कर ऊर्जा का प्रवाह में सहायता करता हैं।
नाड़ीयां बंद होने के कारण
भौतिक शरीर में नाड़ीयां हवा, पानी, रक्त, न्यूट्रिएंट तथा दूसरे द्रवो का प्रवाह करती है मगर शूक्ष्म नाडियां – ब्रह्मांडीय ऊर्जा, सेमिनल, मेंटल और इंटेकचुअल जिसे प्राण भी कहा जाता संचारण करती है।
शूक्ष्म नाडियां में ब्लॉकेज होने के निम्न कारण है…
तनाव से नाडियां में ब्लॉकेज
तनाव केवल मानसिक न होकर अपितु शारीरिक और आध्यात्मिक भी होते हैं। जब यह मनुष्य के तन और मन पर अपना प्रभाव बढ़ाने लगते, इससे शूक्ष्म नाड़ीयों के उर्जा प्रवाह में अड़चनें आने लगती हैं।
अस्वस्थ जीवन शैली
खराब जीवनशैली खान-पान, रहन-सहन शरीर में प्रवाहित होने वाली प्राण ऊर्जा को रोक सकती है। इसलिए संतुलित जीवन शैली होना आवश्यक हैं।
शारीरिक, मानसिक आघात
आघात चाहें मानसिक हो या शारीरिक, दोनों ऊर्जा संचालन को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ रहकर इस अवरोध से हम खुद को बचा सकते हैं।
शरीर में विषकता
अधिकता किसी की भी अच्छी नहीं होती, असीमित होने पर अमृत भी विष बन सकता हैं। अतः शरीर में विषकता भी नाडियों के बंद होने का कारण बनता है।
नडियां बंद होने के प्रभाव
माना जाता है मानव शरीर में कुल 72,000 नडियां होती है। जिनमें से 14 नाड़ीयों को महत्वपूर्ण माना जाता है।
इन चौदह नाड़ीयों में भी तीन ईडा, पिंगला, और सुषुम्ना जो मेरुदंड की सीध में रहती हैं अधिक महत्व दिया जाता हैं लेकिन जब इनमें प्राण ऊर्जा का प्रवाह बंद हो जाता हैं…
- कुंडलिनी ऊर्जा रुक जाति
- नींद की समस्या
- ऑक्सीजन इंटेक कम
- हृदय की समस्या
- ब्रह्मांडिय ऊर्जा प्रवाह रुकना
- मेंटल
- इंटेलेक्चुअल
ईडा नाड़ी में जब ऊर्जा प्रवाह सुचारू रूप नहीं होने पर, मानसिक ऊर्जा में कमी, पाचन संबंधी समस्या, उदासी, बाए नथुना बंद होने का आभास होता हैं
पिंगला नाड़ी जब सुचारू रूप से कार्य ना करें तब, गुस्सा, क्रोध, खुजली, त्वचा संबंधी रोग, शारीरिक यौन ऊर्जा तथा दाए नथुने के बंद होने का आभास होता है।
अनुलोम विलोम क्यों करें
- नाड़ी शोधन में सहायक
- कुंडलिनी ऊर्जा प्रवाह में सहायक
- मन शांत होता
- मेंटल एनर्जी बढ़ती
- तनाव मुक्त
नाड़ी शोधन करता
प्रतिदिन प्रणायाम करना, शरीर में शुद्ध वायु के प्रवाह को बढ़ता है शरीर में स्थित शुक्ष्म नाड़ीयों के ब्लॉकेज को खोलता है ( नाड़ी शोधन करता हैं )।
कुंडलिनी ऊर्जा प्रवाहित
मानव शरीर में अनेकों शुक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते है जिसे चक्र या कुंडलिनी भी कहा जाता हैं। प्रणायाम, योग और ध्यान करना इनसे प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को बढाता है।
मन शांत करता
मन अशांत रहने की कोई मुख्य वजह तो नहीं अपितु यह इसकी प्रकृति है। प्रतिदिन योगा और प्राणायम करना मन स्थिर बनता हैं।
मानसिक शक्ती विकसित
वर्तमान समय में, मनुष्य छोटी छोटी बातों से मानसिक तनाव में आ जाता हैं। स्वयं पर नियंत्रण रखना उन्हें नहीं आता, प्राणायम का अभ्यास प्रतीदिन करना उन्हें मानसिक शक्ती प्रदान करता हैं।
बुद्धि विकसित होती
प्राणायाम का अभ्यास करना मस्तिष्क की कोशिकाओं एवं तंत्रिका तंत्रों में सूचनाओं का आदान प्रदान बेहतर तरीके से होता हैं। जिससे बुद्धि विकसित होती हैं।
अनुलोम विलोम प्राणायाम विधि | Anulom vilom step by step guide
पहली बार अनुलोम विलोम अभ्यास करने वाले इस विधि से शुरूआत करें…
- ध्यान के किसी भी आसन में बैठे, रीढ़ सीधा, कंधे शिथिल, चेहरे पर कोमल मुस्कान रखें
- कुछ समय ज्ञान मुद्रा में बैठकर सामान्य स्वांस प्रवास करें
- अनामिका और छोटी अंगुली बाएं नासिका पर रखें, तर्जनी और मध्यमा दोनों भौहों के बीच, अंगूठा दाहिने नाक पर
- अंगूठे से दाएं नथुने को दबाकर बाएं से धीरे-धीरे श्वास बाहर निकाले
- बाए नासिका से स्वांस लेकर, अंगूठा खोलकर दाएं नाक से स्वांस बाहर करें
- अब दाए से स्वांस लेकर बाए से छोड़िए, यह अनुलोम-विलोम की एक पूर्ण आवृति है
- इसी प्रकार दोनों नाक से स्वांस लेते हुए 9 – 10 आवृति पूर्ण करें
शुरुआत कैसे करें
जान के किसी भी आसन में बैठे जाए, बाई नासिका से स्वांस धीरे-धीरे भीतर खींचे, स्वांस यथाशक्ति रोकने ( कुंभाक ) के पश्चात दाए स्वर से स्वांस छोड़ दें।
पुनः दाई नासिका से स्वांस खींचें, यथाशक्ति स्वांस रोकने ( कुंभक ) के बाद, बाए स्वर से स्वर धीरे-धीरे निकाल दें। जिस स्वर से छोड़े उसी स्वर से पुनः स्वांस ले और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें। क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी न करें
बेहतर अभ्यास के लिए
- आंख पूर्णतः बंद रखें
- स्वांस प्रवास पर जोर न दे
- नाक पर अंगुलिया रखते समय इतना ना दबाई कि नाक की स्थिति टेढ़ी हो जाए
- स्वांस सहज गति से ले
- कुंभक अधिक समय तक ना करें
- जिस स्वर से स्वांस छोड़े उसी स्वर से पुनः स्वांस ले
- क्रिया सावधानीपूर्वक करें
- जल्दबाजी ना करें
अनुलोम विलोम के लाभ | Benifits of Anulom vilom
यह किन्हचित भी आश्चर्यचकित नहीं होगा, स्वांस सही ढंग से लेकर हम किस प्रकार शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से परिवर्तन ला सकते हैं।
प्राणायाम करना स्वांस सही ढंग से लेने में सहायक होता हैं…
- शरीर की संपूर्ण नस नाड़ियां शुद्ध होती
- शरीर तेजस्वी व फुर्तीला बनता
- भूख बढ़ती
- रक्त शुद्ध होता
- मन शांत और केंद्रित होता
- शारीरिक तापमान नियंत्रित रखता
- मस्तिष्क के दाएं और बाएं गोलार्ध को समांतर रखता
- मानसिक और शारीरिक तनाव दूर करता
- वर्तमान में मन स्थिर करता
अनुलोम विलोम प्रिकॉशन और कंट्राडिक्शन
इस प्राणायम की करने में किसी प्रकार का निषेध नहीं है इसे बच्चे, बूढ़े, जवान सभी अभ्यास कर सकते है। बेहतर होगा इसे किसी योग्य प्रशिक्षक के निर्देश में सीखे तथा घर पर अभ्यास करें
Dhyanlok के कुछ शब्द
अनुलोम विलोम प्राणायाम ( Anulom vilom pranayam in Hindi) का अभ्यास करना अनेकों फायदे पहुंचाता है। यह नाड़ी शोधन के लिए बेस्ट प्राणायाम है। जिसे कोई भी अभ्यास कर सकता है।